डीजे संचालकों की रोजी रोटी पर संकट
जिले में डीजे का करोबार करने वाले लोगों के सामने रोजी रोटी का संकट खड़ा हो गया है। तीन माह बारिश के गुजरने के बाद डीजे संचालकों को त्योहार के दौरान कारोबार की आशा जागी थी, लेकिन चुनाव आचार सहिता के लागू होते ही डीजे पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
डीजे संचालक नीलेश खटीक बताते हैं कि जुलाई के बाद उनका धंध पूरी तरह से बंद हो जाता है। नवरात्र से धीरे-धीरे कारोबार शुरू होता है, लेकिन ६ अक्टूबर से चुनाव आचार सहिता लगने के बाद से प्रशासन ने गैर राजनीतिक कार्यक्रमों में भी डीजे बजाने पर रोक लगा दी है।
हर दिन का रखना होगा हिसाब
चुनाव लडऩे वाले प्रत्याशियों के चुनाव प्रचार खर्च की सीमा २८ लाख रुपए तय की गई है। प्रत्याशियों को हर दिन का हिसाब रजिस्टर में दर्ज करना होगा। रजिस्टर को चुनाव प्रक्रिया के दौरान आवश्यक दस्तावेजों के साथ जिला निर्वाचन अधिकारी, रिटर्निंग अधिकारी, निर्वाचन आयोग द्वारा नियुक्त प्रेक्षकों या नियुक्त व्यय लेखा अधिकारी को तीन दिन में एक बार दिखाना होगा।
शादी समारोह में भी नहीं बजेंगे डीजे
इस वर्ष ७ नवम्बर की दीवाली के बाद करीब १८ नवम्बर से शादी का सीजन शुरू हो रहा है, लेकिन प्रदेश में चुनाव की प्रक्रिया ११ दिसम्बर तक चलेगगी। इस दौरान किसी भी कार्यक्रम में डीजे बजाने की अनुमति नहीं होगी। डीजे संचालकों ने दवे स्वर में इसका विरोध करते हुए कहा कि राजनीतिक कार्यक्रम, चुनाव प्रचार में यह प्रतिबंध समझ में आता है, लेकिन घार्मिक और सामाजिक कार्यो में इस पर प्रतिबंध बाजिब नहीं है। इस प्रतिबंध से जिले के लगभग तीन सौ डीजे संचालक फिलहाल ढाई माह तक बेरोजगार रहेंगे।