रायसेन

वेतन 18000 कराने धरने पर बैठीं आशा, ऊषा कार्यकर्ता

पांच दिवसीय हड़ताल- 7 मई से 11 मई तक काम पर नहीं जाएंगी जिले की आशा, ऊषा कार्यकर्ता

रायसेनMay 10, 2018 / 02:04 pm

दीपेश तिवारी

रायसेन। अपने लिए न्यूनतम वेतन व सरकारी सेवक का दर्जा दिलाने के लिए रायसेन जिले की आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं सहित सहयोगिनियों ने पांच दिवसीय धरना प्रदर्शन कर हड़ताल शुरू की है। सात मई सोमवार से शुरू की गई हड़ताल गुरूवार को चौथे दिन भी हड़ताल जारी रही।मप्र सरकार को गहरी नींद से जगाने के लिए आशा, ऊषा कार्यकर्ता समेत उनकी सहयोगिनियों ने थाली चम्मच बजाकर गहरी नींद से जगाने प्रदर्शन कर चुकी हैं। मालूम है कि इनकी इस पांच दिवसीय हड़ताल की वजह से ग्रामीण क्षेत्रों मेें बच्चों, गर्भवती प्रसूताओं के टीकाकरण व अन्य मॉनीटरिंग में प्रतिदिन परेशानी खड़ी होने लगी है।

चिनार चिल्ड्रन पार्क के समीप पंडाल लगाकर दिया जा रहा धरना
सांची रोड पर कलेक्टर बंगला के बगल में चिनार चिल्ड्रन पार्क के नजदीक पंडाल में आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं सहित उनकी सहयोगिनियों द्वारा प्रतिदिन चिलचिलाती धूप तपिश की परवाह किए बिना हड़ताल दिनभर की जा रही है। धरने पर बैठीं आशा,ऊषा कार्यकर्ताओं ने मप्र सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर उनकी जायज मांगों जल्द पूरी नहीं की गई तो अनिश्चित कालीन हड़ताल प्रारंभ कर देंगे।

यह पांच दिवसीय आशा, ऊषा कार्यकर्ता एकता यूनियनन सीटू मंडीदीप के संयुक्त बैनर तले की जा रही है।संगठन की जिला संयोजिका कृष्णा ठाकुर, सरिता कुशवाहा, रश्मि बाई, रानी देवी शीला, श्रीदेवी , हरिबाई, रीटा नायर, प्रीति सिंह, राधा बाई, गीता शाक्या, माया, रक्षा आदि उपस्थित हुए। गुरूवार को दोपहर युवक कांग्रेस के प्रदेश सचिव रूपेश तंतवार, विकास शर्मा, राजेंद्र कुमार दुबे, सुमित माहेश्वरी आदि ने धरना स्थल पहुंच कर इनकी हड़ताल को समर्थन दिया है।

संगठन की जिलाध्यक्ष कृष्णा ठाकुर ने कहा कि सालों से मांग के बावजूद सरकार उन्हें ना तो उन्हें सरकारी सेवक मानने को तैयार है और ना ही उनका वेतन फिक्स करने के बारे में विचार किया जा रहा है।सरिता कुशवाह ने कहा कि मप्र की शिव सरकार के सोचने समझने की बुद्धि नष्ट हो चुकी है। गांवों में स्वास्थ्य योजनाओं सहित चिकित्सा सेवाओं को जारी रखकर टीकाकरण से लेकर दवाईयां वितरण की जबावदारी निभा रही हैं। रीटा नायर,श्रीदेवी ने बताया कि जब केरल, तेलांगाना, अरूणाचल प्रदेश, हरियाणा और सिक्किम में प्रदेश सरकारों ने वहां आशा, ऊषा कार्यकर्ताओं का वेतन फिक्स कर दिया है। तो मप्र में फिर ऐसी व्यवस्था संभव आखिर क्यों नहीं है?

मप्र सरकार जानबूझकर हमारे साथ छल कपट व सौतेला व्यवहार कर रही है। यदि उनकी मांगों को मप्र सरकार के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेनजर अंदाज किया तो आगामी विधानसभा चुनाव में इसके दुष्परीणाम बीजेपी की सरकारों को भुगतना होगा।

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