इस दौरान यह भी देखने में आया है कि मंडी प्रशासन द्वारा किसानों के लिए कोई सुविधा नहीं दी जा रही है। मंडी प्रांगण में बना हुआ कैंटीन बंद पड़ा है। किसान प्रांगण से बाहर छोटी छोटी होटलों में चायपान करते हैं। यहां दो प्याऊ है एक प्याऊ के आसपास गंदगी पड़ी है, वहीं कार्यालय के सामने पानी को ठंडा करने की मशीन तो लगी हैं किंतु बंद हैं। वाटर प्यूरीफायर का कोई इंतजाम नहीं है। मंडी प्रांगण में बना शौचालय गंदगी की चपेट में है। जिसके किवाड़ टूटे हैं।
केवल दिखावे का है रेस्ट हाउस
उदयपुरा कृषि उपज मंडी में सिलवानी, तेंदूखेड़, नरसिंहपुर, गाडरवारा, बरेली तहसील के किसान भी धान एवं अपना अन्य गल्ला बेचने आते हैं। मंडी प्रांगण में दूर किसानों का रेस्ट हाउस बना है वह भी केवल दिखावे का है।
किसानों का कहना है कि मंडी प्रांगण में साफ सफाई, शौचालय, मूत्रालय, प्याऊ, विश्राम स्थल की उचित व्यवस्था नहीं है। प्रांगण इतना बड़ा है कि यदि मंडी प्रशासन चाहे तो व्यवस्था कर सकता है। प्रशासन मंडी शुल्क तो लेता है किंतु आने वाले किसानों की सुविधाओं का बिल्कुल ध्यान नहीं रखता।
मंडी परिसर में किसानों के लिए सभी सुविधाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। कोई कमी न रहे इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है। फिर भी कहीं कोई समस्या है तो उसे तुरंत हल किया जाएगा।
नारायण सिंह रघु, सचिव कृउमं