गत दिवस एसडीएम दिनेश सिंह तोमर ने मंडी प्रबंधन, बैंकर्स और किसानों के प्रतिनिधियों के साथ बैठक कर भावान्तर भुगतान योजना की समीक्षा की। समीक्षा बैठक में व्यापारियों ने बताया कि उनके बैंक खातों मे पर्याप्त राशि होने के बावजूद, किसानों को पचास हजार तक नकद भुगतान की अनिवार्यता के कारण व्यापार प्रभावित हो रहा है। मांग के अनुसार बैंक से नकदी राशि नहीं मिल पाती है।
बैंकर्स ने बताया कि बैंक में नकद राशि रखने की एक नियत सीमा होती है। इसलिए अधिक राशि एकत्र होने के बाद उसी दिन अधिक राशि को वापस करना होता है। सीमा से अधिक नगद राशि के लिए बरेली में संचालित बैंक शाखाएं चेस्ट ब्रांच पर निर्भर रहती हैं। बरेली में चेस्ट ब्रांच नहीं है, इसलिए अधिक राशि की आवश्यकता पडऩे पर एक दिन पहले नजदीकी चेस्ट ब्रांच को उसकी सूचना करनी होती है। तब कहीं जाकर अगले दिन चेस्ट ब्रांच से अधिक नगद राशि आ पाती है। बैंकर्स का कहना था कि यदि व्यापारियों द्वारा एक दिन पहले आवश्यक नकद राशि उपलब्ध कराने की सूचना दे दी जाए तो उसके अगले दिन चेेस्ट ब्रांच से कहकर नकद राशि बुलाकर दे सकते हैं।
व्यापारियों ने बैंकर्स की बात पर असहमति जताते हुए बताया कि नगदी की आवश्यकता उपज की आवक और सौदा पटने पर निर्भर रहती है। एक दिन पहले राशि का अनुमान लगाना संभव नहीं हैं। बैंकों को चाहिए कि मांग के समय ही राशि उपलब्ध कराएं। बिना बैंक से राशि मिले सभी किसानों को पचास हजार उपलब्ध कराना आसान नहीं है। व्यापारियों और बैंकर्स की नगदी की समस्या को देखते हुए बरेली में चेस्ट ब्रांच की आवश्यकता है।
किसानों को पचास हजार तक नगद भुगतान प्राप्त करने की सुविधा का लाभ हर हालत में मिलना चाहिए, इसके लिए चाहे चेस्ट ब्रांच खोलें या अन्य कोई प्रबंध करें।
– हेमंत पटेल, जिलाघ्यक्ष भारतीय किसान मजदूर संघ