सूत्रों का कहना है कि कई बसों में डमी कैमरे लगे हैं, केवल दिखावे के लिए। पुराने बिगड़े हुए कैमरे लगाकर अधिकारियों को अंधेरे में रखा जा रहा है। जांच के दौरान अधिकारी भी कैमरों की पूरी जांच नहीं करते हैं। ऐसे में विद्यार्थियों की सुरक्षा पर सवालिया निशान लग रहे हैं। जब भी प्रदेश या देश में किसी स्थान पर कोई घटनाहोती है, तो जिले के अधिकारी दो चार दिनों तक औपचारिकता और दिखाबे के लिए कार्रवाई कर व्यवस्था दुरुस्त करने का दावा करते हैं। इसके बाद फिर से वही स्थिति नजर आने लगती है।
– यातायात पुलिस व जिला पुलिस को स्कूल बसों में लगे सीसीटीवी कैमरों की जांच करना चाहिए।
– चालक, परिचालक का पुलिस वैरिफिकेशन कराना जरूरी है।
– स्कूल का शिक्षक या शिक्षिका बच्चों के साथ बस में सवार हो।
– बसों के अंदर टोल फ्री नंबर, पुलिस का हेल्पलाइन नंबर अंकित होना चाहिए।
– बीच पर बीच में लाल पट्टी और स्कूल का नाम लिखवाना जरूरी है।
रीतेश कुमार तिवारी, आरटीओ रायसेन