अगर बीमारी अधिक गंभीर होगी और स्थानीय स्तर पर इलाज संभव नहीं होगा, तब अन्य अस्पताल के लिए रेफर किया जाएगा। बच्चों को इलाज की सुविधाओं को मुहैया कराने के लिए राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) की टीम ने जिला अस्पताल का निरीक्षण किया।
हालांकि जिला अस्पताल में जन्म जात बीमारियों से ग्रसित बच्चों का उपचार करने के लिए पहले से स्टाफ मुहैया करा दिया गया था, जिसमें एक डीईआईसी मैनेजर, एक काउंसलर, एक सोशल वर्कर शामिल हैं, लेकिन अब सभी सुविधाओं के साथ आरबीएसके की टीम द्वारा जल्द जिला प्रारंभिक हस्तक्षेप केंद्र खोले जाने की तैयारियां की जा रही हैं। इसके लिए जिला अस्पताल में भूमि आवंटन की समस्या का निराकरण होने के साथ ही छह हजार वर्गफीट में भवन का निर्माण भी किया जाएगा, लेकिन जब तक भवन नहीं बनता है, तब तक एनआरसी के भवन में रिनोवेशन कार्य करवाते हुए पूरा सेटअप तैयार किया जा रहा है।
इन बीमारियों का होगा इलाज
बच्चों को जन्म-जात होने वाली गंभीर बीमारियों के अलावा कटे फटे होंठ, बहरापन, मंदबुद्धि, हार्ट से संबंधित बीमारियों, जिसमें अधिक गंभीर बीमारी वाले बच्चों को चिन्हित कर अन्य अस्पतालों में भी उपचार किया जाएगा। बड़ी बात यह है कि इसमें पात्रता का कोई बंधन नहीं रखा गया है।
सिर्फ बच्चे की उम्र 0 से 18 वर्ष तक रखी गई है, जिससे जिले में बीमारियों से ग्रसित बच्चों को इसका मिलेगा। जानकारी के मुताबिक डीईआईसी में डिफेक्ट, डेफिशियेंसी, डेवलपमेंट तथा डिसीज 4एक्स सिस्टम पर उपचार किया जाएगा। एनएचएम के उप संचालक डॉ. दुर्गेश गौड़ ने टीम के साथ निरीक्षण किया। निरीक्षण में ्रसीएमएचओ डॉ.एके शर्मा, सिविल सर्जन डॉ. बीबी गुप्ता और जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ.सोमन दास भी मौजूद थे।
डॉ. एके शर्मा, सीएमएचओ रायसेन