पति के लिए प्रार्थना
पंडित सुनील शास्त्री के अनुसार इसी दिन वट सावित्री अमावस्या भी है। इस दौरान महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर वटवृक्ष की परिक्रमा करती हैं। पंडित शास्त्री ने बताया कि वट सावित्री अमावस्या सुहागिन महिलाओं के लिए खास दिन होता है। इसी दिन सावित्री ने पूजा से यमदेव को प्रसन्न कर अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। तभी से वट सावित्री अमावस्या व वट सावित्री पूर्णिमा मनाई जाने लगी। अमावस्या पर महिलाएं वटवृक्ष की जड़ में जल देकर तने पर कच्चा धागा लपेट कर सात, ग्यारह या इक्कीस परिक्रमा कर पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। घर में बने पकवानों का भोग लगाया जाता है।
जयंती पर क्या करें
ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का प्रकटोत्सव है। इनकी कृपा प्राप्ति का एक सहज उपाय यह है कि वृद्ध, रोगी, दिव्यांग व असहाय लोगों की सेवा करें। किसी प्रकार का व्यसन करते हों, तो उसे भी त्याग दें, तो कष्टों का निवारण होने लगता है। शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल चढ़ाकर अभिषेक व दान-पुण्य करें। आटे की गोली बनाकर नर्मदा में मछलियों के लिए डालें। शमी या बिलपत्र का पौधा घर में लगाएं और दान करें। जरुरतमंदों को भोजन, छाता, तेल, उड़द दाल और स्टील के बर्तन दान करें। वृद्धाश्रमों में जाकर वस्तुएं प्रदान करें।