scriptसोमवती अमावस्या के साथ बन रहा शनि जयंती का संयोग | Coincidence of Shani Jayanti being made with Somvati Amavasya | Patrika News
रायसेन

सोमवती अमावस्या के साथ बन रहा शनि जयंती का संयोग

शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल चढ़ाकर अभिषेक और दान-पुण्य करें

रायसेनMay 28, 2022 / 12:17 am

chandan singh rajput

शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल चढ़ाकर अभिषेक और दान-पुण्य करें

सोमवती अमावस्या के साथ बन रहा शनि जयंती का संयोग

थालादिघावन. इस बार 30 मई को सोमवती अमावस्या के साथ शनि जयंती का भी संयोग बन रहा है। इस दिन विशेष पूजा-अर्चना के फल प्राप्त होंगे। साथ ही विशेष उपायों को करके लोग शनि पीड़ा एवं अन्य परेशानियों से मुक्ति प्राप्त कर सकेंगे। शनि जयंती पर शनिदेव अपनी ही राशि कुंभ में रहेंगे। यह संयोग शनि बाधा से पीडि़त जातकों के लिए खास है। सोमवती अमावस्या पर स्नान दान का विशेष पुण्य मिलेगा। इस संयोग पर पवित्र मां नर्मदा नदी में स्नान, दान करने की परंपरा है। ज्योतिषों के अनुसार नर्मदा तट पर स्नान नहीं कर सकते तो घर पर पानी में नर्मदा जल मिलाकर स्नान करने से इसका पुण्य मिलेगा और सूर्य को अघ्र्य दें। स्नान के बाद गरीबों को अनाज और गोशाला में हरी घास का दान करना चाहिए। अमवस्या पर पितरों के लिए दान करना पुण्यदायी माना गया है। हथेली में जल लें और अंगूठे की ओर से पितरों को अघ्र्य दें।

पति के लिए प्रार्थना
पंडित सुनील शास्त्री के अनुसार इसी दिन वट सावित्री अमावस्या भी है। इस दौरान महिलाएं अपने पति की दीर्घायु के लिए व्रत रखकर वटवृक्ष की परिक्रमा करती हैं। पंडित शास्त्री ने बताया कि वट सावित्री अमावस्या सुहागिन महिलाओं के लिए खास दिन होता है। इसी दिन सावित्री ने पूजा से यमदेव को प्रसन्न कर अपने पति सत्यवान के प्राणों की रक्षा की थी। तभी से वट सावित्री अमावस्या व वट सावित्री पूर्णिमा मनाई जाने लगी। अमावस्या पर महिलाएं वटवृक्ष की जड़ में जल देकर तने पर कच्चा धागा लपेट कर सात, ग्यारह या इक्कीस परिक्रमा कर पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करती हैं। घर में बने पकवानों का भोग लगाया जाता है।

जयंती पर क्या करें
ज्येष्ठ अमावस्या को शनिदेव का प्रकटोत्सव है। इनकी कृपा प्राप्ति का एक सहज उपाय यह है कि वृद्ध, रोगी, दिव्यांग व असहाय लोगों की सेवा करें। किसी प्रकार का व्यसन करते हों, तो उसे भी त्याग दें, तो कष्टों का निवारण होने लगता है। शनि प्रतिमा पर सरसों का तेल, तिल चढ़ाकर अभिषेक व दान-पुण्य करें। आटे की गोली बनाकर नर्मदा में मछलियों के लिए डालें। शमी या बिलपत्र का पौधा घर में लगाएं और दान करें। जरुरतमंदों को भोजन, छाता, तेल, उड़द दाल और स्टील के बर्तन दान करें। वृद्धाश्रमों में जाकर वस्तुएं प्रदान करें।

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