पत्नी तीन बच्चों की देखभाल व घर के काम करती है। कभी कभार बाहर से लौटने पर पति को समय पर खाना नहीं मिल पाता तो विवाद हो जाता है, पति मारपीट कर देता और पत्नी नाराज होकर मायके चली जाती है। हालांकि दोनों के बीच प्रेम की कड़ी मजबूत है, लड़ते हैं, लेकिन एक-दूसरे के बिना नहीं रह सकते। इसी के चलते दोनों ने अपनी-अपनी गलतियां सहजता से स्वीकारीं और वचन दिया कि अब वह इन्हें नहीं दोहराएंगे।
वहीं दूसरी और एक दंपती जो साथ तो रहा रहे थे, लेकिन दोनों की अपनी जिद और हठ धर्मिता ने दोनों की आंखों पर पर्दा डाल दिया। करीब एक घंटे की काउंसलिंग में दोनों सिर्फ एक-दूसरे पर आरोप लगाते रहे, दोनों में एक भी इस बात को स्वीकार ने तैयार नहीं था कि वह गलत हैं। दोनों का ईगो उन पर इस कदर हावी था कि खुद के साथ उन्हें तीन साल की मासूम बेटी का भविष्य भी नहीं दिख रहा था। निर्णायक स्थिति न बनते देख दोनों को न्यायालय में जाने की सलाह दी गई। मंगलवार को मोहर्रम का अवकाश होने के बावजूद परिवार परामर्श केन्द्र ने विवादों को सुलझाने बैठक रखी। इसमें कुल 7 प्रकरण रखे गए थे। इसमें से चार प्रकरणों में सुनवाई हुई तथा तीन प्रकरणों में पक्षकार अनुपस्थित रहे, जिन्हें आगामी तारीख दी गई है। एक प्रकरण रास्ते के विवाद का होने से एसडीएम के पास भेजा गया। बैठक में एसडीओपी अदिति भावसार, अध्यक्ष कैलाश श्रीवास्तव, सलाहकार अशोक गुप्ता, चेतन राय, अनीता राजपूत मौजूद थे।