scriptसीएचसी को सिविल अस्पताल बनाने की मांंग | Demand to make CHC a civil hospital | Patrika News

सीएचसी को सिविल अस्पताल बनाने की मांंग

locationरायसेनPublished: Oct 07, 2021 12:29:48 am

नागरिकों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं आबादी के मान से ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं

नागरिकों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं आबादी के मान से ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं

सीएचसी को सिविल अस्पताल बनाने की मांंग

उदयपुरा. जिला मुख्यालय रायसेन से सर्वाधिक दूरी पर अंतिम छोर पर दो तहसील मुख्यालय उदयपुरा एवं देवरी हैं, परन्तु इन दोनों तहसील के नागरिकों को मिलने वाली स्वास्थ्य सेवाएं आबादी के मान से ऊंट के मुंह में जीरा के समान हैं। कहने को तो उदयपुरा में सीएचसी अस्पताल है, परंतु यहां बीएमओ के अलावा बिना किसी विशेषज्ञ के मात्र 2 डॉक्टर पदस्थ हैं। इससे ज्यादा बुरी स्थिति तो देवरी तहसील मुख्यालय की है, यहां चल रही पीएचसी अस्पताल में मात्र एक डॉक्टर पदस्थ है। इससे इस परिस्थिति में नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाओं की कठिनाइयों का सहजता से अनुमान लगाया जा सकता है।

दोनों तहसील के नागरिकों की स्वास्थ्य सेवाएं तो भगवान के ही भरोसे हैं। इस सबके बीच एक स्थिति और है जो कि क्षेत्रवासियों की स्वास्थ्य सेवा की कठिनाइयों और बदतर कर देती है वह है इन दोनों तहसील मुख्यालयों की जिले से दूरी जो कि सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर है। बात इतनी ही नहीं है, बल्कि इन दोनों तहसील क्षेत्र की सीमा से लगे हुए अन्य जिले नरसिंहपुर, सागर, होशंगाबाद जिला मुख्यालय की दूरियां भी सौ से डेढ़ सौ किलोमीटर से अधिक है। इसके अलावा इन दोनों नगरों से पूर्व की ओर जबलपुर पश्चिम की ओर भोपाल बड़ा नगर है, परंतु इनकी दूरी भी डेढ़ सौ किलोमीटर से अधिक है। यही सबसे गंभीर बात है, जिसके चलते यहां के निवासियों को जरा सी बीमारी में भी कम डॉक्टरों एवं नर्सिंग स्टाफ की कम उपलब्धता एवं विशेषज्ञ डॉक्टरों की गैरमौजूदगी में या तो यहां से रेफर होना पड़ता है या मौत का सामना करना पड़ता है।

स्वास्थ्य मंत्री डॉ. प्रभुराम चौधरी ने सांची के साथ प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बढ़ाने की बात कही है। भाजपा शासन के इस कार्यकाल में जिले की बेगमगंज और सिलवानी के सामुदायिक केन्द्रों को उन्नयन कर सिविल अस्पताल का दर्जा पहले ही दिया जा चुका है। पर उनका ध्यान उदयपुरा की ओर नहीं गया। इसका खमियाजा तो क्षेत्र की जनता ही भुगत रही है। यहां यह भी स्पष्ट करना जरूरी है कि स्वयं मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री दोनों ही इस क्षेत्र की भौगोलिक सहित सभी तरह की स्थिति से पूरी तरह परिचित हैं, फिर भी वह इन दो नगरों को अनदेखा कर क्षेत्र के साथ उदासीन भाव अपनाकर एक प्रकार का भेद भाव ही प्रदर्शित किए हुए हैं। जनपद क्षेत्र की दोनों तहसील के बाशिंदे वर्षों से स्वास्थ्य सेवाओं की बढ़ोतरी की मांग करते आ रहे हैं, परन्तु इस बावत सरकारी स्तर पर आज तक ध्यान ही नहीं दिया गया।

-उदयपुरा स्वास्थ केन्द्र को जल्दी ही सिविल अस्पताल में उन्नयन किया जाना चाहिए, क्योंकि अस्पताल में उपलब्ध डॉक्टर्स और मेडिकल स्टाफ के मान से जनसंख्या का दबाव कहीं अधिक है।
-साहबलाल तिवारी, विधायक प्रतिनिधि उदयपुरा
-निकतवर्ती तहसीलों में लगभग हर जगह सिविल अस्प्ताल की सुविधा है। परंतु उदयपुरा में आजतक सिविल अस्पताल नहीं स्वीकृत हो पाया लोगों को सैकड़ों किलोमीटर दूर उपचार को जाना पड़ता है।
-धर्मेंद्र राजपूत, सांसद प्रतिनिधि
-क्षेत्र की जनसंख्या और क्षेत्रफल के मान से हमारे पास स्टाफ की कमी है। अगर सिविल अस्प्ताल होता है तो नर्सिंग स्टाफ के साथ विशेषज्ञ डॉक्टर और मशीनरी में भी वृद्धि होगी, और रेफर मरीजों की संख्या में भारी कमी आएगी।
-रजनीश सिंघई, बीएमओ उदयपुरा
&कोरोना काल से अभी तक हमने उदयपुरा सहित आसपास के मरीजों को व्यवस्थाओं को लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र में कई बार परेशान होते देखा है। वास्तव में अब सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र को सिविल अस्प्ताल में उन्नयन होना चाहिए।
-राजेन्द्र रघुवंशी, संचालक संकल्प संस्था और व्यवसायी।
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