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जिले में खेल मैदानों की दुर्गति

locationरायसेनPublished: Feb 01, 2019 06:58:12 pm

Submitted by:

Chandan

खिलाडिय़ों को नहीं मिल रही अभ्यास की सुविधा, कहीं अतिक्रमण तो कहीं गड्ढों में तब्दील खेल मैदान

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Raisen Whenever district players participate in any state level, national and international competitions, everyone is expected to get medals and trophies from them. But no matter how many facilities and resources they are available from the government, no one gets noticed. Yes, there is no shortage of sports talent in the district,

रायसेन. जब भी किसी राज्य स्तरीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में जिले के खिलाड़ी भाग लेने जाते हैं, तो सभी को उनसे पदकों और ट्रॉफी की उम्मीद होती है। मगर उन्हें शासन से कितनी सुविधाएं और संसाधन उपलब्ध हैं, इन पर किसी का ध्यान नहीं जाता। जी हां, जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, लेकिन इन प्रतिभाओं को निखारने के लिए पर्याप्त संसाधन और सुविधाएं आज भी उपलब्ध नहीं हैं। यहां तक कि जिले के हर ब्लॉक में खेल स्टेडियम बनाने की पूर्व सरकार की घोषणा भी अमल में नहीं आ सकी है।
इस संबंध में घोषणाएं तो की गईं, मगर स्टेडियम बनाने की राह में कहीं जगह तो कहीं बजट का अभाव आड़े आ गया। लिहाजा खेल प्रतिभाएं अपने स्तर पर ही व्यवस्थाएं जुटाकर अभयास करती हैं, बावजूद इसके जिले के खिलाड़ी राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर नाम रोशन कर रहे हैं। खिलाडिय़ों को खेल मैदान और जरूरी सुविधाएं मुहैया कराने की जिम्मेदारी जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों की है, लेकिन ये दोनों कड़ी ही इस दिशा में गंभीर नहीं हैं।
पायका और विधानसभा योजना फेल
लगभग चार साल पहले केंद्र सरकार की पायका योजना के तहत हर ब्लॉक में खेल स्टेडियम बनाने की तैयारियां शुरू हुई थीं। खेल एवं युवक कल्याण विभाग ने इनके लिए जगह भी चिन्हित कर ली थी, लेकिन बाद में यह योजना रद्द हो गई।
यहां अतिक्रमण की चपेट में मैदान
मिंडीदीप. नगर का एक मात्र खेल मैदान तिल तिलकर सिकुड़ता जा रहा है। हालत ये है कि एक दशक में खेल मैदान की सीमा में करीब २० से ३० फीट तक लोगों ने कब्जा कर स्थाई निर्माण कर लिए हैं।
80 लाख में बनी केवल बाउंड्रीवॉल
सांची. नगर से 4 किलोमीटर दूर आमखेड़ा पहाड़ी पर ग्रामीण विकास विभाग द्वारा खेल स्टेडियम निर्माण का काम 2017 में शुरू किया गया था, जो 2018 में बंद हो गया। एक साल चले काम के बीच 80 लाख रुपए में केवल बाउंड्री वाल ही बन सकी।
इनका कहना है
– खेल मैदान के आसपास रहने वाले लोग धीरे-धीरे कर स्थाई निर्माण कर रहे हैं, इससे मैदान की सीमाएं सिकुड़ती जा रही है, लेकिन स्थानीय प्रशासन को इसकी खबर तक नहीं है।
प्रहलाद राठौर, हॉकी कोच मंडीदीप
पायका योजना के रद्द होने के बाद हर विधानसभा में स्टेडियम बनाने की योजना पर काम शुरू हुआ था, जो आरईएस के माध्यम से किया जा रहा है। सिलवानी और सांची में स्टेडियम अधूरे हैं। हम हमारे स्तर पर जिले के खिलाडिय़ों को सुविधाएं उपलब्ध कराते हैं, स्टेडियम केवल रायसेन में ही है।
– अरविंद इलाइजर, जिला खेल अधिकारी खेल एवं युवा कल्याण विभाग
नगर सहित जिले में खेल प्रतिभाओं की कमी नहीं है, अगर व्यवस्थित खेल मैदान और खेल संसाधन मिलें, तो जिले के खिलाड़ी भी अंतराष्ट्रीय स्तर पर मैडल लाने की छमता रखते हैं।
– सोनिया कुमरे, हॉकी खिलाड़ी मंडीदीप
– तहसील में युवाओं को खेलों का अभ्यास करने की कोई व्यवस्था नहीं है। जिम्मेदार इस ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे खेल प्रतिभाएं आगे नहीं बढ़ पा रही हैं। इस ओर जिम्मेदारों को ध्यान देने की जरूरत है।
– कमलेश सिंह, खेल प्रेमी सिलवानी
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