मालूम हो कि करीबन २५ दिन पहले १४ अगस्त की रात के समय तीन नवजात बच्चों को नर्सों की मनमानी और हठधर्मिता व लापरवाही के कारण भी भोपाल रेफर कर दिया गया था। जब युवा कांग्रेस नेताओं ने परिजनों को लेकर अस्पताल जिम्मेदार अफसरों का घेराव किया था। बीते तीन माह में जिला अस्पताल में एक दर्जन से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है।
तंदरुस्त था नवजात
तहसील रायसेन के सदालतपुर निवासी शेख नसीम की २१ वर्षीय पत्नी सलमा बी की दूसरी डिलेवरी चार दिन पूर्व जिला अस्पताल में हुई थी। नवजात पूर्णत: स्वस्थ था। उसका वजन करीब ४ किलोग्राम था। बाद में किसी समस्या के चलते डॉक्टरों ने उसे एसएनसीयू की वार्मर मशीन में रखवा दिया। इस बीच पिछले दो दिनों से नवजात शिशु को न तो उसकी मां का दूध पिलाने दिया गया और न परिजनों से मिलने दिया। पिता शेख नसीम खान का आरोप है कि मां के दूध के अभाव में शिशु की सेहत लगातर गिरती गई।
उसके नाना शेख सईद ने बताया कि डॉक्टरों, नर्सों की लापरवाही की वजह से ही उनके नवासे की शनिवार की शाम लगभग ५ बजे इलाज के अभाव में मौत हो गई। लेकिन स्वास्थ्य कर्मचारी काफी देर तक उनके मृत शिशु के शव को देनो में आनाकानी करती रहीं। शाम जब परिजनों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया तो मौके पर पुलिस कर्मी पहुंचे। जैसे-तैसे इस मामले को परिजनों को समझाइश देकर शांत कराया। मीडियाकर्मियों के शाम करीब साढ़े ७ बजे पहुंचने के बाद मृत नवजात शिशु का शव सौंपकर वाहन उपलब्ध करवाकर सदालतपुर रवाना करवा दिया गया।
नर्सों के भरोसे यूनिट
जिला अस्पताल के एसएनसीयू में लंबे समय से शिशु रोग चिकित्सकों की कमी बनीं हुई है। यहां की गहन शिशु चिकित्सा इकाई के प्रभारी डॉ. राकेश अहिरवार हैं। एक महिला डॉक्टर और पदस्थ हैं। इन दो शिशु रोग चिकित्सकों के भरोसे इस इमरजेंसी यूनिट चल रहा है। जबकि इसमें शासन स्तर पर छह शिशु रोग विशेषज्ञों के पद स्वीकृत हैं। लेकिन वर्तमान मेें सिर्फ दो चिकित्सकों के भरोसे २४ घंटे यह यूनिट चल रहा है। शनिवार की शाम एक भी जिम्मेदार डॉक्टर वहां उपस्थित नहीं रहा। नर्सों व स्वास्थ्य कर्मचारियों के भरोसे रात के समय एसएनसीयू चल रहा है।
क्षमता २० वार्मर मशीन की, भर्ती २९ नवजात
यहां की वार्मर मशीनों में सिर्फ २० नवजात शिशुओं को भर्ती कर इलाज करने की सुविधा हैं। लेकिन शनिवार को २९ नवजात शिशु इन वार्मर मशीनों पर भर्ती थे। जिससे सभी शिशुओं को उचित इलाज नहीं मिल पाता है।
नहीं है लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस
वैसे नियम अनुसार एसएनसीयू में भोपाल रैफर करने वाले नवजात शिशुओं को रायसेन से ले जाने में एक अलग से लाइफ सपोर्ट एंबुलेंस होना चाहिए। लेकिन इस इमरजेंसी यूनिट को बरसों बाद भी एक अदद एबुंलेंस नहीं मिल सकी है। जबकि जिले में पांच पांच मंत्री हैं। बावजूद इसके जिला अस्पताल की एसएनसीयू सुविधाओं के लिए तरस रही है।
सदालतपुर निवासी सलमा बी के नवजात शिशु की मौत को मामला मेरे संज्ञान में आया हैं। आखिर इस पूरे घटनाक्रम में लापरवाही किस की है। मैं इस मामले की बारीकी से जांच पड़ताल कराने के बाद दोषियों पर नियम अनुसार उचित कार्रवाई करवाऊंगा।
डॉ. यशपाल सिंह बाल्यान, आरएमओ जिला अस्पताल