चिकित्सकों ने बताया जान को खतरा
मेडिकल ऑफीसर डॉ.एमएल अहिरवार ने इस महिला मरीज का चेकअप करने के बाद इलाज लिख दिया है। लेकिन फिर भी नर्सों द्वारा उसका ब्लड ग्रुप चैक कराना मुनासिब नहीं समझा है। जिससे मरीज रंजीता को खून नहीं चढ़ सका है। उसको खून चढ़ाना जरूरी हो गया है।ताकि उसकी जान खतरे से बाहर हो सके।शनिवार को भी उस महिला मरीज रंजीता कोखून नहीं चढ़ सकाञ जबकि चिकित्सकों ने उसकी जान को खतरा बताया है।
नर्सों, महिला सुरक्षा गार्ड ने की पति से अभद्रता
जिला अस्पताल का बिगड़ा ढर्रा सुधरने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार की रात मरीज रंजीता बाल्मिकि के पति अशोक कुमार बाल्मिकि ने बताया कि वह पर्चा लेकर हाथ में मोबाइल लेकर अपनी पत्नी के पास पलंग पर जाने लगा तो महिला सुरक्षा गार्ड ने उनके हाथ का मोबाइल छीनकर जमीन पर फेंक दिया । साथ ही नर्सोंं ने भी अपशब्द बोलते हुए बदसलूकी की । यह कोई नया मामला नहीं है इससे पूर्व में भी मरीजों व उनके अटेंडरों के साथ मरपीट झूमाझटकी के मामले उजागर हो चुके हैं।
मरीजों के परिजनों ने बताया कि बेड से दो तीन दिनों तक तकिए व गंदी चादरें नहीं बदली जातीं। इससे मरीजों को हरदम संक्रमण का खतरा बना रहता है। इसी मामले को लेकर अशोक बाल्मिकि का नर्सों से कहासुनी हो गई थी । इस मामले की शिकायत उसके पति अशोक ने समाजसेवी मनोहर मेहरा,जिला कांग्रेस अध्यक्ष मुमताज खान से भी की है।
मामला गंभीर दिखवाता हूं
इस संबंध में आरएमओ डॉ.यशपालन सिंह बाल्यान का कहना है कि नियमानुसार रक्त समूह की जांच के बाद ही मरीज को खून चढ़ाया जाता है। लेकिन यह मामला गंभीर है मैं इसे दिखवाता हूं।