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किसी भी चीज का न करें अहंकार, गुरु का करें सम्मान

locationरायसेनPublished: Dec 05, 2019 12:28:53 pm

उन्होंने बताया कि एक बार नारद जी को भगवान की भक्ति करने का अहंकार हो गया था

Do not do anything arrogance, respect the guru

Sultanpur. Pandit Kamalakant Maharaj, the fourth day narrator of Shri Ram Katha, running in the village Semari Kala Shiva temple, narrated the story of Narada Moh before Ram’s birth. He told that once Narada ji had an ego to do devotion to God. God gave Narada ji as a monkey to overcome his ego. In the same way, ego lust resides in today’s people.

सुल्तानपुर. ग्राम सेमरी कला शिव मंदिर में चल रही श्रीराम कथा के चतुर्थ दिवस कथावाचक पंडित कमलाकांत महाराज ने राम जन्म से पहले नारद मोह की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि एक बार नारद जी को भगवान की भक्ति करने का अहंकार हो गया था। भगवान ने उनका अहंकार दूर करने के लिए नारद जी को बंदर का रूप दिया था। ठीक इसी तरह आज के लोगों के अंदर भी अहंकार की वासना निवास करती है। चाहे वह भक्ति की हो, धन की हो, पद की हो या ज्ञान की हो। भगवान कहते हैं कि अहंकार ही मेरा भोजन है, मैं अपने भक्तों का कल्याण करने के लिए अहंकार को जड़ से उखाड़ कर फेंक देता हूं। कथा प्रसंग सुनाते हुए महाराज ने बताया कि गुरु के बिना भगवान के दर्शन नहीं होते। राजा दशरथ और रानी कौशल्या ने पूर्व जन्म में भगवान की तपस्या किए थे। भगवान ने वरदान दिया था कि मैं आपके यहां पुत्र रूप में आऊंगा। जब तक गुरु वशिष्ट के कृपा नहीं हुई तब तक भगवान दशरथ जी के यहां नहीं आए।
जैसे ही गुरु वशिष्ट के कृपा हुई भगवान चारों भाइयों के साथ अयोध्या में राजा दशरथ के यहां अवतार लिए। इस कथा से हम सबको यह शिक्षा मिलती है कि अपने जीवन में कभी भी किसी चीज का अहंकार ना करें और गुरु का बराबर सम्मान करें। गुरु ही है जो हमें अंधकार से निकालकर प्रकाश की ओर ले जाता है। कथा में बड़े धूमधाम से श्री राम जन्म उत्सव मनाया गया।

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