उस तत्व को समस्त प्राणियों में अनुभव करके आप प्रयास यह कीजिए की समस्त प्राणियों की भावनाओं का संरक्षण हो सके और विशेष तौर पर गाय का संरक्षण, संवर्धन करना हमारी सनातन परंपरा का एक श्रेष्ठतम अंग है। मानस सम्मेलन में कानपुर से पधारे आलोक मिश्र और झांसी से पधारे हुए पंडित अरुण गोस्वामी जी ने भी प्रवचन दिए।
गाय का सम्मान और सेवा करें
वर्तमान में जो गाय की दुर्दशा हो रही है, लोग गाय पालन से विमुख होते जा रहे हैं। गाय की सेवा, उसका सम्मान करने में स्वयं को संलग्न नहीं कर रहे, यह उचित नहीं है। देखा जाता है कि गाय का दुग्ध निकालकर लोग उसे मार्ग में भटकने के लिए छोड़ देते हैं। यह प्रवृत्ति हमें पाप का भागी बनाती है।
गाय का सम्मान और सेवा करें
वर्तमान में जो गाय की दुर्दशा हो रही है, लोग गाय पालन से विमुख होते जा रहे हैं। गाय की सेवा, उसका सम्मान करने में स्वयं को संलग्न नहीं कर रहे, यह उचित नहीं है। देखा जाता है कि गाय का दुग्ध निकालकर लोग उसे मार्ग में भटकने के लिए छोड़ देते हैं। यह प्रवृत्ति हमें पाप का भागी बनाती है।
हमारे यहां कहा गया है गाय में समस्त देवताओं का वास होता है और गाय अत्यंत दया, करुणा की प्रतिमूर्ति है। हमें चाहिए कि हम गाय का सम्मान करें, गाय की सेवा करें और उसे तिरस्कार भाव से बिल्कुल भी ना देखें, जो तिरस्कार भाव से देखेंगे, वह अनंत काल तक कष्ट भोगेंगे।