छोटे-छोटे बच्चों को उसने पाला। अब सबने अपनी अलग गृहस्थी बसा ली। जमीन भी पूरी बच्चों के नाम कर दी। पति तो बेटे के पास चला जाता है और उसके उसके खाने-पीने की कोई चिंता नहीं करता। इसलिए मजदूरी करने उसे घर से बाहर जाना पड़ता है। उसी से उसका गुजारा चल रहा है। सदस्यों ने पति को समझाया कि वह पत्नी को उसके घर में रहने के लिए जगह दे और उसके जरूरत की पूर्ति करे। दोनों को समझाइश देकर उनके विवाद में सुलह कराई।
गले मिली समधने, कराई बहू की विदा
एक अन्य मामले में पति पनी के बीच हुए विवाद के बाद पत्नी लंबे समय से मायके में रह रही थी। विवाद के कारण दोनों परिवारों में भी काफी खटास हो गई। पिछली बैठकों में हुई काउंसलिंग के दौरान पति-पत्नी के बीच तो सुलह हो गई, लेकिन बहू का कहना था कि उसके सास ससुर भी आएं और उसके सामने सुलह हो। इस बार दोनों पक्षों के परिजनों को बुलाया बहू की मां ने अपनी समधन से माफी मांगी और पुराने गिले-शिकवे भुलाकर एक दूसरे को गले लगाया। इसके बार पूरा परिवार बहू को लिवाने उसके घर गया। बैठक में पहली बार रिकॉर्ड 26 प्रकरणों की सुनवाई की गई, जिसमें से 13 प्रकरण निराकृत किए गए। 3 प्रकरणों में दोनों पक्षों को सुनने के बाद आगामी तारीख दी गई है। 10 प्रकरणों में एक ही पक्ष उपस्थित होने से दूसरे पक्ष को उपस्थित होने के लिए नोटिस जारी किए जाएंगे। बैठक में एसडीओपी अदिति सक्सेना, अध्यक्ष कैलाश श्रीवास्तव, सलाहकार अशोक गुप्ता, चेतन राय, अनीता राजपूत आदि मौजूद रहे।