यदि मंडी प्रबंधन द्वारा व्यापारियों के प्रतिष्ठानों का सत्यापन और जांच की जाती है, तो किसी न किसी तरह से व्यापारी मंडी प्रबंधन पर झूठे आरोप लगाकर कार्रवाई की धमकी देते हैं। गौरतलब है कि मंडी सचिव द्वारा दो जून को व्यापारियों के प्रतिष्ठानों का सत्यापन किया गया था। इसमें कई व्यापारियों में स्टॉक और रिकार्ड में अंतर आया था। जिस पर मंडी से नोटिस जारी किए गए थे। मगर व्यापारियों द्वारा न तो अंतर की राशि जमा कराई और ना ही रिकॉर्ड का सत्यापन कराना जरूरी समझा।
उपज खरीदने के बाद किसानों को समय पर भुगतान नहीं किया जाता। नीलामी में बोली लगने के बाद किसानों को सौदा पर्ची भी सादे कागज पर दी जाती है, जिससे किसान के पास किसी तरह का प्रमाण नहीं रहता और वह फिर भुगतान के लिए यहां से वहां भटकते हैं। जबकि राज्य सरकार द्वारा किसानों को मंडी परिसर में बेहतर सुविधाएं देने के लिए राज्य सरकार द्वारा बड़े-बड़े दावे किए जाते हैं। मगर मंडी में अनाज की खरीदी करने वाले अधिकारी किसानों की मेहनत ही नहीं प्रदेश सरकार की मंशा पर भी पानी फेर रहे हैं।
मंडी प्रबंधन से प्राप्त जानकारी के अनुसार सोनिया टेडर्स प्रो. माधो साहू के प्रतिष्ठान का निरीक्षण करने पर क्रय की गई उपज के भंडारण में 5074.31 क्विंंटल का अंतर पाया गया। जिस पर पांच गुना मंडी शुल्क राशि 3,23,595 रुपए एवं निराश्रित शुल्क 42,480 रुपए जमा कराए गए। दो जून 2020 को रोहित टेडर्स प्रो. रोहित जैन एवं मां शारदा ट्रेडर्स प्रो. राजेश साहू के प्रतिष्ठान का आकस्मिक निरीक्षण किया गया। यहां भी पांच गुना मंडी शुल्क की राशि जमा करने के लिए आदेश दिए गए। मगर अब तक यह राशि जमा नहीं कराई। इस तरह कई व्यापारियों द्वारा मंडी शुल्क की चोरी कर सरकारी राजस्व को नुकसान पहुंचाया जा रहा और किसानों को भी भुगतान के लिए परेशान किया जाता है।
किसानों की सुविधा के लिए बनाए गए मंडी टीन शेडों में हमेशा व्यापारियों का अनाज रखा रहता है।थोड़ी देर बारिश होने पर ही किसानों की उपज भीग जाती, तो व्यापारी खरीदारी नहीं करते। किसान अपनी उपज विक्रय के लिए मंंडी के चक्कर लगा रहे हैं। मगर व्यापारी अपनी अनुचित मांगों को लेकर दो दिन से नीलामी में भाग नहीं ले रहे। ऐसे में किसान अपनी उपज को इन्हीं व्यापारियों को उनकी ही दुकानों पर औने-पौने दामों में बेचने मजबूर हैं।
& व्यापारियों द्वारा मेरे विरुद्ध झूठी शिकायत की गई है। कतिपय व्यापारी नियम विरुद्ध कार्य करते हैं, जिनके खिलाफ नियमानुसार कार्यवाही की जाती, वह विरोध कर रहे है। उन्होंने किसानों की शिकायत मिलने पर व्यापारियों को भुगतान के लिए निर्देशित किया था, जो व्यापारियों को नागवार गुजरा। -ऋतु गढ़वाल, मंडी सचिव।
-संघमित्रा बौद्ध, एसडीएम सिलवानी।