किसानों ने बताया कि पीला मोजेक और अतिवृष्टि के कारण सोयाबीन की फसल नष्ट हो गई। इस वर्ष क्षेत्र में लगभग ५१ हजार हैक्टेयर में सोयाबीन की बोवनी की गई थी, जबकि ४८ हजार हैक्टेयर में उड़द की बोवनी हुई थी। ये फसल शुरुआती दौर में ही पीला मोजेक के कारण लगभग ७० प्रतिशत खराब हो गई थी। अब पिछले करीब 10 दिन से लगातार हो रही बारिश से फ सल सड़ गई है। खेतों में खड़ी उड़द, सोयाबीन की फलियों से ही अंकुरण शुरू होने लगा है, जिससे रही सही आस भी किसानों की धूमिल होने लगी है।
खराब हुई फ सलों के सर्वे कराने का शासन ने अधिकारियों को आदेश दिया था, जिसके तहत मोटे-मोटे नुकसान का आंकलन किया जा रहा है, लेकिन सही रिपोर्ट क्रॉप कटिंग के बाद ही मानी जाएगी। प्रशासन के निर्देशन में अतिवृष्टि से खराब हुई फसलों का आकलन करने टीम गठित कर दी गई है, जिसमें तहसीलदार, पटवारी, कृषि अधिकारी आदि अमला फसल नुकसान का सर्वे करेगा। बीमा कंपनी के नियमानुसार अतिवृष्टि से नुकसान होने पर क्लेम का प्रावधान भी है। ऐसे में फ सल बीमा कराने वाले किसान अब बीमा लेने के पूरे हकदार हो गए है।
खरीफ फ सल खराब होने का असर बाजार की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा। सोयाबीन का उत्पादन नहीं होने के कारण किसानों के हाथ में रुपए नहीं आएंगे और वे मार्केट में खरीदी नहीं कर सकेंगे। उधारी में कृषि सामान की खरीदी करने वाले किसान इस सीजन में भी भुगतान नहीं कर सकेंगे। इसके कारण किसानों को ज्यादा ब्याज राशि चुकाना पड़ेगी।
पानी की निकासी नहीं खेत में गल गए पौधे : जमानिया ताके किसान राजा सिंह, सागोनी के बाल गिरी गोस्वामी, सुमेर के भगवान सिंह सोलंकी, ककरूआ के इस्माइल खान ने बताया कि खेतों से पानी की निकासी नहीं होने के कारण सोयाबीन के पौधे गल गए। वहीं पीला मोजेक की स्थिति भी बनी हुई है। सरकार को सर्वे कराकर मुआवजा राशि जल्द देना चाहिए ताकि किसान परेशानी से उबर सके।
-सरकार के आदेश के बाद सर्वे किया जा चुका है। बहुत जल्द नुकसान का वेरिफि केशन होने के बाद में किसानों को मुआवजा मिल जाएगा
– सुनील कुमार प्रभास, नायब तहसीलदार।