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अपने संभाले होते तो बाहर से नहीं लाना पड़ते महंगे टमाटर

locationरायसेनPublished: Jul 21, 2023 06:48:15 pm

Submitted by:

praveen shrivastava

जिले में पैदा हुआ डेढ़ लाख मेट्रिक टन टमाटर किब गया कोडिय़ों के दाम, अब बाहर से आ रहा महंगा टमाटर।

अपने संभाले होते तो बाहर से नहीं लाना पड़ते महंगे टमाटर
अपने संभाले होते तो बाहर से नहीं लाना पड़ते महंगे टमाटर
रायसेन. एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल होने के बाद भी रायसेन जिले का टमाटर फसल के समय कोडिय़ों के दाम बिक गया, जबकि अब दूर के ढोल सुहावने की तर्ज परबाहर से आ रहे टमाटर को लोग 150 से 180 रुपए किलो तक खरीद रहे हैं। इसका कारण यह कि हमने ही अपने जिले में पैदा हुए टमाटर की कद्र नहीं की। किसानों की मेहनत की इस उपज को सहेजकर रखने की जिले में कोई व्यवस्था नहीं होने का खामियाजा आम जन को भुगतना पड़ रहा है। जो टमाटर दो माह पहले हमारे जिले से ही एक से डेढ़ रुपए किलो में खरीदकर बाहर के व्यापारी ले गए, वही टमाटर अब हमारे जिले में पर्देदारी से बिक रहा है। रायसेन से नेपाल सहित कई अन्य देशों तक टमाटर जाता है, जो वहां महीनों सुरक्षित रखकर बेचा जाता है, लेकिन हमारे जिले में टमाटर को सुरक्षित रखने के लिए कोई इंतजाम नहीं हैं।
योजना के बाद भी नहीं मिली सुविधा
सूक्ष्म खाद्य उद्धम योजना के तहत कोल्ड स्टोरेज स्थापित करने की सरकार ने योजना लागू की थी। दो साल में इस योजना के तहत जिले में एक भी इकाई नहीं लग सकी। इसका कारण यह कि टमाटर का उत्पादन करने वाले किसान और व्यापारियों ने इसमें रुचि नहीं ली। न ही सरकार ने जिले के इस प्रमुख उत्पाद की मार्केटिंग या भंडारण के लिए कोई इंतजाम किए। हर साल किसान बड़ी मात्रा में टमाटर का उत्पादन करते हैं और बाहर से आने वाले व्यापारी 150 से 200 रुपए केरेट खरीदकर ले जाते हैं। एक केरेट में 18 से 20 किलो टमाटर आता है। इससे अंदाजा लगायाजा सकता है कि किसान की उपज के दाम फसल के समय क्या लगते हैं। अब जब फसल खत्म हो गई तो उसे खुद अपने स्वाद के लिए किस दाम में टमाटर खरीदना पड़ रहा है।
डेढ़ लाख मेट्रिक टन हुआ उत्पादन
इसवर्ष जिले में किसानों ने 6150 हैक्टेयर में 01 लाख 57 हजार 440 मेट्रिक टन टमाटर का उत्पादन किया। केवल इसी साल नहीं बल्कि हर साल लगभग इतना ही टमाटर का उत्पादन जिले में किया जाता है। इसीलिए सरकार ने टमाटर को एक जिला एक उत्पाद योजना में शामिल किया। लेकिन इस योजना का जिले को केवल नाम ही मिला, फायदा कुछ नहीं।
दम तोड़ रही योजना
सूक्ष्म खाद्य उद्धम योजना के तहत कोल्ड स्टोरेज या फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने के लिए सरकार 35 प्रतिशत अधिकतम 10 लाख रुपए तक सबसिडी दे रही है, बाबजूद इसके किसी ने जिले में इकाई स्थापित करने में रुचि नहीं ली। सरकार उद्योगपतियों को निवेश के लिए तमाम सुविधाएं दे रही है, लेकिन स्थानीय किसानों या व्यापारियों को इतनी जरूरी इकाई लगाने के लिए कोई सुविधा नहीं है, यही कारण है कि कोई यह इकाई लगाने में रुचि नहीं ले रहा हैं। फूड प्रोसेसिंग यूनिट ही लग जाए तो जिले का यह उत्पाद जिले में ही अच्छी दामों पर बिक सकता है।
इनका कहना है
हम दिन रात मेहनत कर टमाटर का उत्पादन करते हैं। जब फसल आती है तो उसे बेचने की जल्दी होती है,जिसका लाभ व्यापारी उठाते हैं। हमारी मेहनत की उपज कोडिय़ों के दाम खरीद कर ले जाते हैं। यदि उपज को एक दो माह सुरक्षित रखने की व्यवस्था हो तो हमे अच्छे दाम मिलें और लोगों को महंगा टमाटर नहीं खरीदना पड़े।
अनिल जाट, किसान ग्राम किवलाझिर
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जिले में प्रोसेसिंग यूनिट लगाने के लिए योजना है, दो लोगों ने इसके लिए आवेदन किया था, बाद में वो पीछे हट गए। योजना के तहत कोई यूनिट लगाए तो किसानों को इसका फायदा मिल सकता है।
आरएस शर्मा, उपसंचालक उद्यानिकी
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