कुछ परिवार बोरास में दो दिन पहले से पहुंच चुके थे और महापुण्य हासिल करने के लिए दिन भर सत्यनारायण कथा सुंदरकांड भजन कीर्तन, पूजा-पाठ करवाया। दूर से आए भक्तों के भंडारे चल रहे थे। नर्मदा के बोरास तट सहित केतोघान, शोकलपुर, सिंहनाथ, अलीगंज, बगलवाड़ा, पतई सहित अन्य तटों पर सर्दी की परवाह किए बगैर श्रद्धालुओं ने डुबकी लगाई।
सिलवानी. बीकलपुर में चल रही शिव महापुराण कथा के छठवें दिन पंडित राम कृपालु उपाध्याय ने कहा कि हमारे जीवन में माता-पिता का स्थान सर्वोच्च है। उन्होंने कहा कि सभी देवी देवताओं का निवास माता-पिता में है। इसलिए उनकी सेवा और उनका सम्मान करना हमारा परम धर्म है। व्यक्ति के जीवन में माता-पिता का योगदान सबसे अधिक रहता है। जो व्यक्ति गृहस्थ आश्रम में रहता है, उसका पहला कर्तव्य कि उसके माता-पिता प्रसन्न रहें, उनका सम्मान हो।
यदि घर में माता-पिता दुखी हैं और पुत्र के द्वारा तीर्थ, जप, तप, दान, यज्ञ आदि कर्म किए जा रहे हैं तो इन पुण्य कर्मों का फल निष्फल ही रहता है। माता-पिता की सेवा, उनकी आज्ञा का पालन करना, उनके सानिध्य में रहना, उनका संरक्षण प्राप्त करना पुत्र का सबसे बड़ा धर्म है।