शहरों से गांव जा रहे मजदूरों की जांच भी नहीं की जा रही है, ऐसे में दूरस्थ शहरों, ग्रामों में भी संक्रमण का खतरा बढ़ जाएगा। संभव है कि इन मजदूरों में कोई संक्रमण लेकर चल रहा हो। यदि इनकी उचित जांच नहीं की गई तो इनका परिवार और पूरा खतरे में आ सकता है।
कुछ को भेजा सागर
सागर जिले के टड़ा केसली सहित अन्य नगरों के लगभग ४० लोग रायसेन में कुछ दिनों से रुके हुए थे। ये लोग कप, प्लेट आदि बेचने का काम करते हैं। प्रशासन ने शनिवार को इन लोगों को एक बस से उनके घरों के लिए भेजा। मजदूरों को माध्यम ग्रुप के संयोजक जमना सेन द्वारा भोजन कराया गया। तहसीलदार अजय पटेल, टीआई जगदीश सिंह सिद्धू आदि ने मजदूरों को उनके घर भेजा। शनिवार को लगभग दस युवा रायसेन से सागर की ओर पैदल निकले।
मंडीदीप से 27 मार्च को दो लोग जबलपुर के लिए रवाना हुए शनिवार को बरेली पहुंचे। युवाओं ने बताया कि 3 दिन से कुछ खाया पिया भी नहीं है। इसी तरह इंदौर से 24 मार्च को पैदल निकले पिंटू कुशवाहा ने बताया कि वह मार्बल ठेकेदार के यहां काम करते थे, ठेकेदार ने उन्हें भगा दिया वाहन नहीं चलने के कारण हम 24 मार्च से ही लगातार पैदल चल रहे हैं। मीडिया कर्मियों ने एसडीएम बृजेंद्र रावत को इन 6 लोगों की सूचना दी, लेकिन एसडीएम ने बताया कि वे देवरी में हैं। लगभग एक घंटे मदद का इंतजार करने के बाद सभी युवक पैदल ही आगे बढ़ गए।
बरेली. भोपाल से पैदल चलकर बरेली पहुंचे १२७ मजदूरों को शुक्रवार रात एसडीएम ब्रजेंद्र रावत सहित अन्य अधिकारियों ने छिंदवाड़ा, मंडला और सिवनी के लिए बसों से भेजा। मजदूरों को बरेली में ही भोजन कराया गया। मजदूरों ने बताया कि वे भोपाल में अलग-अलग जगहों पर मजदूरी करते थे, लेकिन लॉकडाउन के चलते उनको काम नहीं मिल रहा है, एक सप्ताह से बेरोजगार होने के कारण भोजन के लाले पड़ गए और कोई साधन नहीं मिलने के कारण पैदल ही घरों के लिए निकले थे।