संकट में अन्नदाता बोले ऐसे तो हम बर्बाद हो जाएंगे
बिजली की कमी, मंूग की फसल को नहीं मिल रहा पानी
सूखने लगी मूंग की फसल, महज पांच घंटे दी जा रही बिजली सप्लाई।
रायसेन
Published: April 22, 2022 09:54:46 pm
रायसेन. सरकार खेती को लाभ का धंधा बनाना चाहती है। कभी प्रकृति की मार तो कभी बिजली संकट फसलों की अच्छी पैदावार में अड़चन पैदा कर रही है। ऐसे ही हालत वर्तमान में बरेली डिवीजन के अंतर्गत आने वाले विद्युत वितरण केन्द्र देवरी क्षेत्र के सब स्टेशन थालादिघावन और भोपतपुर क्षेत्र के गांवों में बनी हुई है। पिछले साल की तुलना में इस बार मूंग के रकबे में खासी बढ़ोतरी हुई है। इसकी वजह पिछले वर्ष मूंग की अच्छी पैदावार होना बताया जा रहा है। पिछले वर्ष अच्छी बारिश होने से ट्यूबवेल में भी पर्याप्त मात्रा में पानी था। लेकिन इस बार बिजली कंपनी की वितरण व्यवस्था ने इसे ज्यादा कठिनाई भरा बना दिया। जब से मूंग की फसल में सिंचाई की जरुरत महसूस होने लगी है। तब से ही बिजली कंपनी ने अघोषित कटौती शुरु कर दी है।
हालत यह है कि ग्रामीण अंचलों में बमुश्किल पांच घंटे ही बिजली प्रत्येक फीडर पर दी जाती है। उसमें से भी एक-दो घंटे फाल्ट के नाम पर कटौती की जा रही है। यहीं नहीं बिजली अधिकारी गांवों में बिल बकाया की बात कहकर ट्रांसफार्मर तक उठा ले गए। कुछ ट्रांसफार्मर अधिक लोड के चलते जल गए। उन्हें बदलवाने के लिए किसान देवरी डीसी आफिस के कई चक्कर लगा रहे। इस तरह मूंग की फसल पर बिजली संकट का कहर बनकर टूट रहा है। ऐसे में किसानों की इस मंशा को बड़ा आघात पहुंच रहा है। उन्होंने तीसरी फसल के रुप में मूंग की बोबनी कर अतिरिक्त लाभ लेने के बारे में सोचा था। लेकिन बिजली सप्लाई की व्यवस्था ने उनकी मेहनत पर पानी फेर दिया।
इधर बिजली संकट को लेकर अधिकारियों का कहना है कि वे अपनी तरफ से बिजली की अतिरिक्त कटौती नहीं कर रहे। वैसे गर्मी के मौसम में बिजली की अतिरिक्त खपत बढ़ जाती और उत्पादन में कमी आने से यह समस्या बन रही है।
इस तरह होता है मूंग में खर्च
इस समय मूंग के बीज की कीमत क्वालिटी अनुसार 100 रुपए प्रति किलो से शुरुआत है। जिसकी अधिकतम कीमत 300 रुपए तक है। एक एक बीघा मूंग की फसल में दवाई का खर्च 700 से 1200 रुपए तक आ रहा है। कृषि भूमि की गुणवत्ता के आधार पर कम या ज्यादा भी हो सकता है। बोवनी से कटाई तक एक बीघा में तीन से चार हजार रुपए तक खर्च आता है। वहीं औसत पैदावार तीन से चार क्विंटल प्रति बीघा है। वर्तमान में मंडी में मूंग का भाव 5470 से 6435 रुपए प्रति क्विंटल चल रहा है।
बढ़ती है मिट्टी उर्वरता
मूंग गर्मी और खरीफ दोनों मौसम की कम समय में पकने वाली एक मुख्य दलहनी फ सल है। गेहूं, धान, फसल चक्र वाले खेतों में मूंग की फसल द्वारा मिट्टी उर्वरता को उच्च स्तर पर बनाए रखा जा सकता है। मूंग से नमकीन पापड़ अजैसे स्वादिष्ट व्यंजन भी बनाए जाते हैं। इसके अलावा मूंग की हरी फ लियों को सब्जी के रुप में बेचकर किसान अतिरिक्त आय प्राप्त कर सकते हैं। अनुमान के मुताबिक एक एकड़ जमीन से 30 हजार रुपए तक की कमाई कर सकते हैं।
ऐसा है सिंचाई का फ ार्मूला
मूंग की फसल में पहली सिंचाई 10 से 15 दिनों तक करते हैं। इसके बाद 10 से 12 दिनों के अंतराल में सिंचाई की जाती है। इस प्रकार कुल तीन से पांच सिंचाई करते हैं। इसमें यह ध्यान रखना पड़ता है शाखा निकलते समय, फूल आने की अवस्था और फलियां बनने पर सिंचाई आवश्यक रुप से करनी पड़ती है।
किसानों की बात
इस बार 10 एकड़ में मूंग की बोबनी की है। मूंग में चार से पांच हजार रुपए प्रति एकड़ का खर्च आता है। पिछले कुछ सप्ताह से बिजली की समस्या बहुत ज्यादा बिकराल हो गई है। 24 घंटे में मात्र पांच घंटे ही बमुश्किल बिजली मिल रही, जिससे मूंग की फसल सूखने लगी है।
जगदीश प्रसाद लोधी, किसान
इनका कहना
नर्मदा अंचल क्षेत्र होने के कारण ट्यूबवेल के बोर में पर्याप्त पानी होता है। क्योंकि मूंग में 15 से 18 दिन में पानी की जरुरत होती है। लेकिन बिजली पर्याप्त नहीं मिल पा रही इसलिए सिंचाई करने में बहुत ज्यादा परेशानी आ रही है। यदि यही हालत रहा तो बीज पूरा होना मुश्किल हो जाएगा।
मुकेश शर्मा, जिलाध्यक्ष भारतीय किसान यूनियन रायसेन।
वर्जन
बिजली की सप्लाई को बंद कराने के लिए हमारे पास वरिष्ठ कार्यालय से संदेश आता है। इस कारण हमें सप्लाई बंद करनी पड़ रही है। किसानों की समस्याओं से आला अफसरों को अवगत करा दिया है।
गणेश नागडिरे, एई बिजली कंपनी देवरी।

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