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women’s day special : अपने में हिम्मत है तो हर मुश्किल आसान हो जाती है

locationरायसेनPublished: Mar 08, 2019 11:24:42 am

Submitted by:

praveen shrivastava

जीवटता की मिसाल है प्रियंका ठाकुर।

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women’s day special : अपने में हिम्मत है तो हर मुश्किल आसान हो जाती है

रायसेन/बेगमगंज. इंसान अगर तय कर ले तो फिर क्या महिला और क्या पुलिस और कैसी मुश्किलें। अपने में हिम्मत है तो हर मुश्किल आसान हो जाती है। बस हौसला और अपने ऊपर भरोसा रखना जरूरी है। रायसेन जिले की बेगमगंज तहसील के ग्राम नैनविलास प्रियंका ठाकुर (राजपूत) जीवटता और हौसले की ऐसी ही मिसाल हैं। मात्र 17 साल की उमृ में 11 फरवरी 2013 को एक विवाद के दौरान पिता राजकुमार सिंह ठाकुर को खो देने वाली प्रियंका के सिर पर मां को संभालने के साथ अपनी तीन छोटी बहनो और एक छोटे भाई की जिम्मेदारी आन पड़ी थी। लेकिन प्रियंका ने उस समय जो हौसला दिखाया और जीवटता का परिचय देते हुए अपने को संभाला साथ ही अपनी मां सहित भाई और बहनों को केवल संभाला ही नहीं बल्कि आगे बढऩे के लिए उनकी राह आसान बनाई।

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परिवार के साथ संभाली खेती
पिता का साया सिर से उठने के बाद परिवार की 15 एकड़ जमीन को संभालने की जिम्मेदारी भी प्रियंका ने बखूबी निभाई है। हालांकि इस दौरान उसकी पढ़ाई अधूरी रह गई। पिता की असमय मृत्यु के समय प्रियंका कक्षा 12वीं की छात्रा थी। उसने बीकॉम शुरू किया, लेकिन जिम्मेदारियों के चलते पढ़ाई बीच में ही छोडऩा पड़ी। आज प्रियंका एक सफल कृषक है, जो अपनी 15 एकड़ जमीन पर रबी और खरीफ की फसलें सफलता पूर्वक ले रही है। जिससे परिवार का भरण पोषण के साथ भाई, बहिनो की परवरिश और पढ़ाई करा रही है। प्रियंका की तीनो बहने आज कॉलेज में हैं, एक बहन निजी स्कूल में शिक्षिक है, जबकि भाई बेगमगंज के कॉन्वेंट स्कूल में कक्षा नौ का छात्र है।

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भाई-बहनो की चिंता है
प्रियंका का कहना है कि बुरा समय बीत गया। अब भविष्य संवारना है। अपनी नहीं बल्कि अपनी तीनो बहनो और भाई को उनके पैरों खड़े करना है। साथ ही खेती किसानी का काम देखना है।

खुद करती हैं खेती
प्रियंका अपनी जमीन पर खुद खेती करती हैं। वे खुद ट्रेक्टर चलाकर बोवनी और बखरनी का काम करती हैं। खुद दिन-रात मेहनत कर फसलों में पानी लगाती हैं। जरूरत पडऩे पर मजदूर लगाकर काम कराती हैं। बैंक में केसीसी भी बनवाई है। हां एक और बात प्रियंका कहती हैं कि यदि हम अपनी राह चल रहे हैं, तो फिर किसी की हिम्मत नहीं कि अड़ंगा लगाए।

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