कृषि वैज्ञानिक डॉ. स्वप्निल दुबे ने कहा कि बायो फोर्टिफाइड किस्में पूसा तेजस, पोषण, पूसा उजाला, पूसा अहिल्या, सीआर धान-310, 315 में आयरन व जिंक की मात्रा अधिक होती है, उनके उत्पादन व उपयोग करने की सलाह दी। जलवायु परिवर्तन के कारण एक डिग्री तापमान बढऩे से धान की फसल में 5.8 प्रतिशत व दो डिग्री तापमान बढऩे से 10.16 प्रतिशत तक उत्पादन बढ़ता है। इसी तरह गेहूं में 0.5 डिग्री तापमान बढऩे से 10 प्रतिशत तक उत्पादन की कमी देखी जा रही है। तापमान बढऩे से कीट व रोगों का प्रकोप अधिक होता है। फसलों का कुपोषण दूर करने के लिए लघु धान्य फसलें कोदो, कुटकी, संावा, कंगनी, रागी के उत्पादन की जानकारी दी। वैज्ञानिक रंजीत सिंह राघव ने रबी फसलों की बोवनी के लिए संतुलित मात्रा में उर्वरकों के उपयोग के अंतर्गत डीएपी के साथ एनपीके, एसएसपी व पोटाश उर्वरकों के उपयोग की सलाह दी। इस मौके पर सहायक संचालक कृषि दुष्यन्त कुमार धाकड़ जीएस रैकवार आदि मौजूद थे।