वर्तमान में जिला अस्पताल में कहने को तो बाइस चिकित्सकों की फेहरिस्त है। लेकिन वर्तमान में अस्पताल में सामान्य और इमरजेंसी ओपीडी सिर्फ तीन डॉक्टरों के भरोसे चल रही है। वहीं अस्पताल में १५ विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद खाली हैं। इसके अलावा जिला अस्पताल में पैरा मेडिकल स्टाफ की कमी भी बरसों से बरकरार है। बाकी जले हुए और गंभीर घायलों सहित प्रसूताओंं को, मरीजों की भी गड़बड़ी दिखने पर फौरन हमीदिया हास्पिटल भोपाल रैफर कर देते हैं।
कई सेवाएं बदहाल
जिला अस्पताल में डॉक्टरों सहित अत्याधुनिक मशीनों, उपकरणों सहित अन्य संसाधनोंं की कमी है। साथ ही विभिन्न वार्डों में डॉक्टरोंं और पैरामेडिकल स्टाफ की भी कमी की वजह से एसएनसीयू से लेकर आईसीयू, सोनोग्राफी यूनिट, दंत चिकित्सा यूनिट आदि में चिकित्सा सेवाएं बदहाल हैं। काफी समय गुजर जाने के बाद भी कई पद खाली हैं।
नहीं हुए ऑपरेशन
अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में मरीजों के पिछले बीस दिनों से ऑपरेशन नहीं हो सके हैं। क्योंकि जिला अस्पताल के प्रथम श्रेणी चिकित्सक शल्य सर्जन डॉ. दिनेश खत्री से अस्पताल प्रबंधन द्वारा सामान्य ओपीडी और इमरजेंसी ओपीडी की ड््यूटी कराई जा रही है। ऐसे हालातों के चलते ऑपरेशन थिएटर में पिछले २० दिनों से मरीजोंं के ऑपरेशन नहीं हो सके हैं। मरीज रविशंकर मेहर को पथरी, मोहम्मद सलीम खान को पैर में फोड़ा होने पर और शगुफ्ता के सिर के फोड़े का ऑपरेशन होना है। लेकिन इनके ऑपरेशन अब तक नहीं हो सके।
१६ जुलाई को औबेदुल्लागंज में परिवार नियोजन शिविर में शल्य चिकित्सक डॉ. दिनेश खत्री की ड्यूटी लगाई गई। मगर उनकी इमरजेंसी ड््यूटी ओपीडी में लगा देने से वह शिविर में नहीं जा सके।
जिला अस्पताल से मिली जानकारी के अनुसार मौजूदा समय में जिला अस्पताल में ३२ डाक्टरों के पद स्वीकृत हैं। जबकि वर्तमान में जिला अस्पताल में २२ डॉक्टरों की फेहरिस्त की सूची सूचना पटल बोर्ड पर लगी है। मगर इनमें सात डॉक्टर लंबे समय से गैर हाजिर चल रहे हैं। एक डॉक्टर निलंबित हो चुका है। वहीं एक स्त्री रोग चिकित्सक डॉ. जिंसंी ठाकुर छह माह की मेटरनिटी अवकाश पर गई हैं। तीन डॉक्टर पीजी का कोर्स करने इंदौर गए हुए हैं। तीन महिला डॉक्टरों को महिला मेटरनिटी विंग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। छह डॉक्टरोंं को स्वास्थ्य योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए प्रभारी अधिकारी बनाया गया है। इन्हीं में से तीन डॉक्टरों के भरोसे जिला अस्पताल की इमरजेंसी और सामान्य ओपीडी का भार है। मरीजोंं को इस जिला अस्पताल में मामूली इलाज तो मिल रहा है। लेकिन गंभीर मरीजोंं को भोपाल रैफर करना डॉक्टरों की आदत में शुमार हो चुका है। मरीजों की भीड़ बढऩे से इन तीनों डॉक्टरों को ड्यूटी करना पड़ रही है।
ओपीडी में नहीं बैठते ईएनटी विशेषज्ञ
छय रोग अधिकारी बने नाक, कान, गला रोग विशेषज्ञ डॉ. पीएस ठाकुर अपनी मनमर्जी से ड्यूटी करते हैं। वे ओपीडी में भी बैठना उचित नहीं समझते। ऐसे में मरीज भटकते रहते हैं। बताया जा रहा है कि डॉ. ठाकुर ने अपने यशवंत नगर स्थित आवास पर प्राइवेट क्लीनिक खोल रखा है। जिला अस्पताल में सोनोग्राफी लॉजिस्ट, एक दंत रोग चिकित्सक, एक पैथालॉजिस्ट, एक हड्डीरोग विशेषज्ञ, पांच मेडिकल ऑफिसर, तीन शिशुरोग विशेषज्ञ एसएनसीयू के लिए, एक आईसीयू मेडिकल ऑफीसर महिला मेटरनिटी प्रसूति विंग में दो (पीजीएमओ) के पद खाली है। वर्तमान में जिला अस्पताल २०० बिस्तरों का है। इसे ३५० पलंगों में तब्दील करने संबंधी प्रस्ताव फिलहाल शासन स्तर पर अटका हुआ है। इसलिए एक पलंग पर दो से तीन महिला मरीजों का इलाज किया जा रहा है। वेंटीलेटर भी नहीं है।
जिला अस्पताल में खाली पड़े पंद्रह पदों को जल्द भरा जाएगा। हमने संयुक्त संचालक स्वास्थ्य और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य संचालनालय भोपाल को पत्र लिखकर पद भरे जाने का अनुरोध किया है। जहां जो कमी रहे उसे जल्द दूर की जाएगी। इन व्यवस्थाओं में सुधार लाने केलिए विभाग के अधिकारियों को भी जानकारी भेजकर समस्या से अवगत करवा दिया गया है।
डॉ. बीबी गुप्ता, सिविल सर्जन रायसेन।