इस तरह भगवान भरोसे चल रहे हैं जिले के सभी १८ अंग्रेजी माध्यम के स्कूल। कागजी खानापूर्ति करविभागीय अधिकारी इंग्लिश मीडियम स्कूल चलाने का दावा कर रहे हैं।दरअसल स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा खोले गए अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों मेें खुद विभाग के अधिकारी ही गंभीरता पूर्वक ध्यान नहीं दे रहे हैं। जबकि नियम अनुसार अंग्रेजी माध्यम के इन सरकारी स्कूलों में अंग्रेजी माध्यम के फुलफे्रश शिक्षकों की जरूरत होती है। विभागीय अधिकारियों को चाहिए कि इंग्लिश मीडियम में पढ़े लिखे युवा-युवतियों को अतिथि के तौर पर पदस्थ कर उनकी सेवाएं लेना चाहिए। ताकि इन अंग्रेजी माध्यम केस्कूलों में छात्र-छात्राओं की पढ़ाई बेहतर तरीके से हो सके।
अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों की पढ़ाई राम भरोसे
कागजों में चल रहे इन सरकारी इंग्लिश मीडियम के स्कूलों की पढ़ाई ट्रेंड शिक्षकों के अभाव में भगवान भरोसे चल रही है।हालांकि विभागीय अधिकारियों ने यहां ट्रेंड शिक्षकों को पदस्थ किए जाने का वादा नए शिक्षा सत्र की शुरूआत के समय से ही की थी। लेकिन विभागीय अधिकारी उनके वादे पर खरे नहीं उतरे हैं। बताया जाता है कि इन अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में किताबें तक छात्रों को वितरित नहीं की गई हैं। दो महीनों के बाद भी आधी अधूरी व्यवस्थाओं के बीच यह सरकारी अंग्रेजी माध्यम के स्कूल चल रहे हैं। बताया गया है कि मप्र राज्य शिक्षा केंद्र भोपाल ने इन अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों के लिए पाठ्य पुस्तक निगम से किताबें भी छपवा ली हैं। लेकिन अभी तक यह किताबें इन स्कूलों तक नहीं पहुंची हैं।
ऐसी स्थिति में विद्यार्थी पुरानी किताबों के ही भरोसे पढ़ाई करने के लिए मजबूर हैं।अगर हम जानकारों की मानें तो ज्यादातर प्रायवेट स्कूलों में इंग्लिश मीडियम होने के कारण उनमें एडमीशन लेनेके लिए छात्रों में होड़ लगी रहती है।वहीं शासकीय स्कूलों के छात्र सबसे ज्यादा अंग्रेजी विषय में ही कमजोर होते हैं।इसी के चलते शासन द्वारा फिलहाल रायसेन जिले में डेढ़ दर्जन इंग्लिश मीडियम की प्राइमरी स्कूलों को खोलकर एक प्रयोग किया गया है।लेकिन इन अंग्रेजी स्कूलों के सभी १८ सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी और किताबों के अभाव में शासन की यह अभिनव पहल फेल होती नजर आ रही है।
आखिर क्यों पड़ी इन स्कूलों की जरूरत…?
अप्रैल २०१० में प्रभावशील हुए अनिवार्य बाल शिक्षा अधिकार अधिनियम २००९ के तहत निजी स्कूलों की २५ फीसदी सीटों पर बच्चों का एडमिशन कराया जा रहा है। जिसकी फीस प्रतिपूर्ति में जिला शिक्षा विभाग को इन निजी स्कूल संचालकों को हर साल करोड़ों रूपए खर्च किया जा रहा है। अभिभावक भी इन निजी स्कूलों मेंं अपने बच्चों को प्रवेश दिलाने में ज्यादा रूचि लेते हैं। जबकि सरकारी स्कूलों में इनकी रूचि नहीं रहती। इसके अलावा कई प्रतियोगी परीक्षाओं में शासकीय स्कूलों के छात्रों का प्रदर्शन ठीक नहीं होता है।क्योंकि उनकी अंग्रेजी काफी कमजोर होती है। इन्हीं सब उद्देश्यों की पूर्ति के लिए यह योजना बनाई गई है।
नहीं रखे जा रहे अतिथि शिक्षक
विभागीय सूत्रों से बताया गया है कि अंग्रेजी माध्यम के इन स्कूलों के लिए विभाग अलग से शिक्षकों की कोई भर्ती नहीं करेगा। इसलिए किसी और स्कूल में पदस्थ अंग्रेजी माध्यम से उत्तीर्ण संविदा शाला वर्ग ३ के शिक्षकों को जिम्मेदारी सौंपी जा रही है। भविष्य में ऐसे शिक्षक ही इन स्कूलों में पहुंचाए जाएंगे। आरटीई के मापदंडों के अनुरूप इन अंग्रेजी माध्यम के स्कूलों में अन्य शिक्षकों की व्यवस्था की जाएगी। ताकि विभाग के अफसरों की मुश्किलें भी कम हो सकें।
यहां खोले गए हैं इंग्लिश मीडियम स्कूल
जिला शिक्षा केंद्र रायसेन ने जिले में १८ अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोले हैं। इनमें शासकीय प्राइमरी स्कूल खरगावली, प्राथमिक शाला कलेक्ट्रेट कॉलोनी रायसेन, शासकीय प्रइमरी स्कूल पुराना थाना रायसेन, शासकीस प्राथमिक स्कूल सांची सहित अन्य १४ स्कूल जिलेभर में खोले गए हैं। पता चला है कि सांची के अंग्रेजी मीडियम प्राइमरी स्कूल के बच्चों का इस सत्र में टोटा हो गया है। ऐसी स्थिति में शासन की यह अभिनव पहले फेल होती नजर आ रही है। उधर जिला शिक्षा केंद्र के अधिकारी ने जिले में २० प्राइमरी स्कूल और इंग्लिश मीडियम के खोल जाने के प्रस्ताव मप्र राज्य शिक्षा केंद्र भेजा है। फिलहाल इसकी मंजूरी अभी नहीं मिल सकी है।
इंग्लिश मीडियम के इन सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी जल्द ही पूरी कर दी जाएगी। इन स्कूलों में किताबें भी जल्द बांटी जाएंगी। जिले में बीस अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोलने के लिए राज्य शिक्षा केंद्र को इस साल प्रस्ताव भेजा गया है। ताकि हिंदी के साथ ही अंग्रेजी शिक्षा को भी बढ़ावा मिल सके।
विजय नेमा डीपीसी रायसेन