जिले में चना और मसूर की खरीदी विपणन संघ द्वारा सहकारी समितियों के माध्यम से कराई गई है। जबकि गेहूं खरीदी नागरिकम आपूर्ति निगम ने सहकारी समितियों से कराई थी। गेहूं की राशि नान से और चना, मसूर की राशि विपणन संघ से मिलना है, लेकिन इन संस्थाओं द्वारा समय पर राशि नहीं दी जा रही है। इससे किसान खासे परेशानी में हैं। अब बारिश का मौसम नजदीक आ चुका है, किसानों को अब खरीफ सीजन की फसलों की बोबनी की चिंता सताने लगी है। किसानों के साथ फिर से आर्थिक संकट मंडराने लगा है। बताया जा रहा है कि चना और मसूर का परिवहन अभी तक पूरा नहीं हुआ है। इस कारण २९ मई तक चना, मसूर बेचने वाले किसानों के खाते में भुगतान राशि भेजी गई है।
जिला सहकारी बैंक सीईओ आरपी हजारी ने बताया कि गेहूं खरीदी की लगभग ६५ करोड़ रुपए की राशि नागरिक आपूर्ति निगम से लेनी है। जबकि बैंक द्वारा अपनी ४६ करोड़ रुपए की लिमिट से किसानों को भुगतान कर दिया है, लेकिन यह राशि नागरिक आपूर्ति निगम से प्राप्त नहीं हुई है, क्योंकि नागरिक आपूर्ति निगम को वेयर हाउस कार्पोरेशन से डब्ल्यूएचआर (वेयर हाउस रिसीव) प्राप्त नहीं हुई। इस कारण भुगतान अटका हुआ है।
इसलिए हो रही लेटलतीफी
जानकारी के मुताबिक इस कार्य में वेयर हाउस कार्पोरेशन के जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ रही है, क्योंकि परिवहन होकर आ रहे गेहूं, चना और मसूर की जमा रसीद वेयर हाउस में रखाने के बाद तत्काल दी जाना चाहिए। लेकिन कार्पोरेशन द्वारा लेटलतीफी की जा रही है। नए नियमों के मुताबिक वेयर हाउस से जमा रसीद मिलने के बाद ही किसानों के खातों में राशि डाली जाएगी। सोसाइटियों को जमा रसीद नहीं मिलने से भुगतान नहीं मिल पा रहा है।
कलेक्टर भावना वालिम्बे ने नागरिक आपूर्ति निगम और वेयर हाउस कार्पोरेशन के अधिकारियों को जल्द वेयर हाउस रसीद जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। चना खरीदी बंद होने के चार दिन बाद भी लगभग ४००० मीट्रिक टन यानि लगभग ४० हजार क्विंटल मीट्रिक टन चना खरीदी केन्द्रों पर परिवहन के लिए रखा हुआ है। परिवहन नहीं होने से हजारों किसानों का भुगतान अटका हुआ है।
दो दफ्तर के चक्कर लगा रहे किसान
नांद गांव के किसान वचन सिंह ने बताया कि उन्होंने २२ अप्रैल को ४२.५० क्विटंल गेहूं बेचा था। जिसका भुगतान आज तक नहीं मिल सका। बैंक शाखा पहुंचने पर बताया कि आपकी राशि नागरिक आपूर्ति निगम से नहीं आई। निगम के दफ्तर पहुंचे तो वहां बताया गया कि पूरा भुगतान कर दिया गया है। ऐसे में किसान दो कार्यालयों के चक्कर लगाकर परेशान हो रहा। यही स्थिति बलवीर सिंह, नेतराम, दयाशंकर आदि ने भी बताई।
चैक नहीं ले रहा
विपणन संघ
किसानों का कहना है कि जब उन्हें भुगतान नहीं मिला तो वे केसीसी का कर्ज नहीं चुका पा रहे। वहीं नगद राशि हाथ में नहीं होने से उन्हें विपणन संघ से सब्सिडी में मिलने वाला खाद-बीज भी नहीं मिल पा रहा। क्योंकि विपणन संघ कार्यालय में किसानों से चैक नहीं लिए जा रहे। किसानों से नगद राशि जमा कराई जाती है लेकिन किसानों के हाथ में नगद राशि नहीं है।
६०० किसानों का १५ करोड़ भी अटका
सीईओ हजारी ने बताया कि इसके अलावा करीब ६०० किसानों को भुगतान अब भी नहीं हो सका है, क्योंकि बैंक की अपनी लिमिट पूरी हो चुकी और नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिले भर के करीब ६०० किसानों को अभी लगभग १५ करोड़ रुपए का भुगतान करना बाकी है। किसान हर दिन बैंक पहुंचकर अपने खातों की जानकारी लेते हैं, लेकिन उनके खातों में राशि नहीं पहुंच रही।