रामछज्जा और सीतातलाई हैं प्रमाण
बेतवा नदी को पार करने के बाद भगवान राम आगे बढ़ रहे थे लेकिन बारिश शुरु हो गई और इसी कारण भगवान राम, सीता और लक्ष्मण ने एक छतरीनुमा विशाल चट्टान में शरण ली और वहीं पर चातुर्मास काटा। इस विशाल छतरीनुमा चट्टान को इसके बाद से ही रामछज्जा के नाम से जाना जाता है।
रामछज्जा पहाड़ी से करीब 500 मीटर की दूरी पर एक और और पहाड़ी है जहां एक छोटा तालाब है जो सीतातलाई के नाम से जाना जाता है। बताया जाता है कि जब श्रीराम चातुर्मास के दौरान यहां पर रुके थे तो सीता माता इसी तालाब में स्नान करने के लिए आती थीं और इसलिए इसका नाम सीतातलाई पड़ गया। शहर के पुरातत्वविद राजीव लोचन चौबे का कहना है कि चातुर्मास के दौरान भगवान राम जिस तालाब में स्नान के लिए जाते थे, वह तालाब आज भी मौजूद है। रामछज्जा से दो किमी स्थित इस तालाब को रामताल कहा जाता है। भगवान राम के चार माह के प्रवास के दौरान वो जहां जहां गए, उन स्थानों को भगवान के नाम से जोड़ा गया है। ग्राम रमासिया और बनगवां ऐसे ही गांव हैं। साथ ही उन्होंने ये भी बताया कि सीतातलाई के पास एक चट्टान पर दो चरण आज भी अंकित हैं। जिन्हें माता सीता के चरण मानकर श्रद्धालु पूजन करते हैं। कहा जाता है कि ग्राम बनगवां से होते हुए भगवान राम दक्षिण दिशा की ओर गए थे।