वहीं मप्र सरकार की जन विरोधी,महिला विरोधी नीतियों को उजागर करते हुए जोरदार विरोध प्रदर्शन किया। महिलाओं ने चूल्हे पर रोटियां सब्जी बनाकर खुद खायीं । साथ ही गरीब मजदूरों को घर से बुलाकर भोजन कराया । नुक्कड़ सभा में प्रमुख वक्ताओं ने कहा कि के न्द्र की मोदी सरकार व मप्र की शिवराज सरकार रसोईगैस पर भी7.5 प्रतिशत वैट टैक्स वसूल रही हैं।
यदि वेट टैक्स खत्म हो जाए तो रसोईगैस सिलेंडरों के दाम घटकर आधे हो जाएंगे। इस अवसर पर ब्लॉक महिला कांग्रेस की अध्यक्ष वंदना मालवीय,सपना चौहान,शोभा गौर,लता चौहान ,मंजू जैन आदि उपस्थित रहीं ।
समर्थन मूल्य पर उपज खरीदी बंद, भुगतान के लिए परेशान किसान
इधर, समर्थन मूल्य पर गेहूं की खरीदी २० मई को बंद हो गई यानि लगभग २५ दिन बीत चुके हैं। वहीं चना, मसूर की खरीदी नौ जून को बंद हो चुकी है। सरकार ने किसानों को एक सप्ताह के अंदर खातों में राशि भेजकर भुगतान कराने का वादा किया था। लेकिन ये वादा सरकार का पूरा नहीं हो सका। क्योंकि खरीदी कराने वाली नोडल संस्था द्वारा पर्याप्त राशि जिला सहकारी बैंक को नहीं दी जा रही है।जिला सहकारी बैंक सीईओ आरपी हजारी ने बताया कि गेहूं खरीदी की लगभग ६५ करोड़ रुपए की राशि नागरिक आपूर्ति निगम से लेनी है। जबकि बैंक द्वारा अपनी ४६ करोड़ रुपए की लिमिट से किसानों को भुगतान कर दिया है। लेकिन यह राशि नागरिक आपूर्ति निगम से प्राप्त नहीं हुई है। क्योंकि नागरिक आपूर्ति निगम को वेयर हाउस कार्पोरेशन से डब्ल्यूएचआर यानि वेयर हाउस रिसीव प्राप्त नहीं हुई। इस कारण भुगतान अटका हुआ है।
सीईओ हजारी ने बताया कि इसके अलावा करीब ६०० किसानों को भुगतान अब भी नहीं हो सका है। क्योंकि बैंक की अपनी लिमिट पूरी हो चुकी और नागरिक आपूर्ति निगम द्वारा भुगतान नहीं किया जा रहा है। जिले भर के करीब ६०० किसानों को अभी लगभग १५ करोड़ रुपए का भुगतान करना बाकी है। किसान हर दिन बैंक पहुंचकर अपने खातों की जानकारी लेते हैं। लेकिन उनके खातों में राशि नहीं पहुंच रही।
जानकारी के मुताबिक इस कार्य में वेयर हाउस कार्पोरेशन के जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ रही है। क्योंकि परिवहन होकर आ रहे गेहूं, चना और मसूर की जमा रसीद वेयर हाउस में रखाने के बाद तत्काल दी जाना चाहिए। लेकिन कार्पोरेशन द्वारा लेटलतीफी की जा रही है। नए नियमों के मुताबिक वेयर हाउस से जमा रसीद मिलने के बाद ही किसानों के खातों में राशि डाली जाएगी। सोसाइटियों को जमा रसीद नहीं मिलने से भुगतान नहीं मिल पा रहा है। इस मामले में कलेक्टर भावना वालिम्बे ने नागरिक आपूर्ति निगम और वेयर हाउस कार्पोरेशन के अधिकारियों को जल्द वेयर हाउस रसीद जारी करने के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन कलेक्टर के निर्देश भी जिम्मेदारों पर बेअसर साबित हो रहे। चना खरीदी बंद होने के चार दिन बाद भी लगभग ४००० मीट्रिक टन यानि लगभग ४० हजार क्विंटल मीट्रिक टन चना खरीदी केन्द्रों पर परिवहन के लिए रखा हुआ है। परिवहन नहीं होने से हजारों किसानों का भुगतान अटका हुआ है।
नांद गांव के किसान वचन सिंह ने बताया कि उन्होंने २२ अप्रैल को ४२.५० क्विटंल गेहूं बेचा था। जिसका भुगतान आज तक नहीं मिल सका। बैंक शाखा पहुंचने पर बताया कि आपकी राशि नागरिक आपूर्ति निगम से नहीं आई। निगम के दफ्तर पहुंचे तो वहां बताया गया कि पूरा भुगतान कर दिया गया है। ऐसे में किसान दो कार्यालयों के चक्कर लगाकर परेशान हो रहा। यही स्थिति बलवीर सिंह, नेतराम, दयाशंकर आदि ने भी बताई। इन किसानों का कहना है कि एक जून को चना, मसूर की उपज बेची थी। बारह दिन बीतने के बाद भी भुगतान नहीं मिल सका। बताया जा रहा है कि विपणन संघ द्वारा भुगतान के लिए कम राशि दी जा रही है।
किसानों का कहना है कि जब उन्हें भुगतान नहीं मिला तो वे केसीसी का कर्ज नहीं चुका पा रहे। वहीं नगद राशि हाथ में नहीं होने से उन्हें विपणन संघ से सब्सिडी में मिलने वाला खाद-बीज भी नहीं मिल पा रहा। क्योंकि विपणन संघ कार्यालय में किसानों से चैक नहीं लिए जा रहे। किसानों से नगद राशि जमा कराई जाती है। लेकिन किसानों के हाथ में नगद राशि नहीं है। तो अगले माह उन्हें ज्यादा दाम में खाद-बीज खरीदना होगा।
– भावना वालिम्बे, कलेक्टर।