दुकानों व दफ्तरों में सिर्फ एक ही चर्चा…
मतदान के बाद अब प्रत्याशयों की हार जीत पर चुनावी गणित लगाना शुरू हो गया है। लोगों की भीड़ शहर के चौक-चौराहों से लेकर चाय नाश्तों की दुकानों व दफ्तरों में सिर्फ एक ही चर्चाआम चल रही है कि मतगणना का चुनावी ऊंट भाजपा कांग्रेस के पक्ष में बैठेगा अथवा किसी निर्दलीय के पक्ष में जनाधार मिलेगा ।
हार जीत का निर्णय 11 को…
जबकि ईव्हीएम मशीनों से चुनावी हार जीत का निर्णय किस के पक्ष में जाएगा जो ग्यारह दिसंबर मंगलवार को दोपहर तक क्लियर हो जाएगा। चाय की चुस्कियों के बीच सिर्फ स्थानीय स्तर से लेकर राजधानी भोपाल अटकलों का बाजार यहां जमकर गर्म है।
रिकार्ड टूटने को लेकर अपना-अपना अनुमान….
चाहे राजनीति के जानकार हों अथवा फिर सामान्य जनता ज्यादातर लोग इसी चर्चाओं में व्यस्त हैं।प्रत्याशियों के बंगलों से लेकर घर चुनावी दफ्तरों में भी अगले कार्यों पर चर्चा चल रही है। उम्मीदवारों के घरों में भी पोलिंग बूथों की रोजाना हार जीत के आंकलन की गुणा-भाग लगाकर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि कहां से किमने वोट मिलेंगे।इस बार मतदान का रिकार्ड टूटने को लेकर अपना-अपना अनुमान है।
कांग्रेस या भाजपा…
कोई इसे कांग्रेस पार्टी के नारे वक्त है बदलाव का से जोड़ रहा है।कोई भाजपा की शिव सरकार की योजनाओं,विकास कार्यों, स्वास्थ्य योजनाओं की मदद में बेहतर भाजपा के पक्ष में नतीजा बता रहे हैं।वहीं कुछ लोग यह भी कह रहे हैं। मतदान जागरूकता को लेकर जो ठोस प्रयास हुए हैं।यह शायद उसकी का नतीजा है। नव मतदाताओं का रूझान इस बार युवा प्रत्याशियों,सत्तारूढ़ सरकार के मत जाने का अनुमान लगाया जा रहा है।
मतदान समाप्त होने के साथ ही अब मतगणना शुरू होने के पहले कयासों का दौर यूं ही चलता रहेगा।प्रत्याशियों की 11 दिसंबर को जो वोटों की गिनती होना है उसके बाद से ही सही पता चलेगा ।
हार जीत को लेकर लग रहा सट्टा….
विधानसभा चुनाव 2018 में जीत हार को लेकर जमकर सट्टा भी लग रहा है।मतदान के बाद से ही सट्टा बाजार की दांव लगाने का दौर शहर सहित जिलेभर की सभी विधानसभा सीटों पर प्रारंभ हो गया है।यह सट्टा स्थानीय प्रत्याशियों को लेकर नई सरकार के गठन तक को लेकर लगाया जा रहा है।वहीं तमाम लोगों ने आपस में ही शर्त लगाकर रखी है। सट्टा और शर्त से किसको यह फायदा होगा और किसको होगा नुकसान । इसके लिए फिलहाल 11 दिसंबर के लिए 12 दिन बाकी है।
12 दिन बाद आएगा ईवीएम से फैसला….
यह विधानसभा चुनाव किसी उम्मीदवार को विधायक बनाएगा तो किसी को कैबीनेट मंत्री ।किसकी सरकार बनेगी यह मतगणना के बाद 11 दिसंबर को चुनावी तस्वीर साफ होगी ।लेकिन इतना तय है कि जिले की चारों सीटों के दो प्रमुख राजनैतिक दलों के प्रत्याशियों में कौन भाग्यशाली बनेगा ।जिसके सिर पर जीत का सेहरा बंधेगा।इसके लिए फिलहाल कयास ही लगाए जा रहे हैं।
सत्ताधारी भाजपा के साथ ही प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस समेत बसपा,गौंडवाना गणतंत्र पार्टी ,निर्दलीय समाजवादी पार्टी ,आप समेत अन्य क्षेत्रीय दलों के साथ स्वतंत्र प्रत्याशियों ने भी अपने अपने स्तर पर खूब जोर लगाया है। इन सबकी मेहनत व किस्मत को फिलहाल वोटरों ने ईवीएम मशीनों में कैद कर दिया है।