सरकार किसानों को दस घंटे बिजली देने का दावा कर रही है, जबकि हकीकत में मात्र 2 से 4 घंटे ही बिजली दी जा रही है। इसका भी कोई समय तय नहीं है। कभी तड़के पांच बजे से तो कभी देर रात को बजली देना शुरू कर दिया जाता है। बिजली के इंतजार में किसान रात रात भर खेतों में पड़ा हुआ है। किसानों के आंखों के सामने मूंग की फसल बर्बाद होती नजर आ रही है। यदि समय रहते जरूरत के मुताबिक बिजली मिलना शुरू नहीं हुआ तो फसल बर्बाद हो जाएगी। किसानों ने बताया कि उन्होंने लाखों की लागत लगाकर मूंग की फसल लगाई है।
एसडीएम ने लगाई फटकार
किनगी-कामतोन एवं अन्य गांव के 50 से अधिक किसान 2 घंटे तक तपती धूप में कार्यालय के बाहर बिजली कंपनी के डीई का इंतजार करते रहे। 2 घंटे इंतजार के बाद भी डीई क्षितिज गौतम बरेली में होने के बाद भी किसानों से मिलने नहीं पहुंचे। इस बात से आहत किसान एसडीएम को ज्ञापन सौंपने पहुंचे। किसानों की बात को ध्यान से सुनते हुए एसडीएम प्रमोद गुर्जर ने तत्काल फोन पर डीई और किनगी फीडर के संबंधित अधिकारी से बात की और लापरवाही बरतने को लेकर कार्रवाई के लिए पत्र लिखा।
जमीन छू रहे तार से मजदूर झुलसा
गुरुवार को कामतोन में खेत में काम करने के दौरान एक खेतिहर मजदूर टंटू लाल खेत में जमीन छूते करंट दौड़ते 11 केवी हाई वोल्टेज के तारों के संपर्क में आने से झुलस गया। प्राथमिक उपचार के बाद उसे भोपाल भेज दिया गया है। किसानों ने बताया कि दूर के तारों को झूलते तारों को ऊंचा करने के लिए दर्जनों बार अधिकारियों को बता चुके थे। बावजूद इसके तारों को ऊंचा नहीं किया जा रहा। झुलसे मजदूर की पत्नी रेशमबाई ने एसडीएम प्रमोद गुर्जर को ज्ञापन देकर पति के इलाज के लिए राशि और लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
किसानों को दस घंटे बिजली देने का प्रावधान है, लेकिन मांग और आपूर्ति में बहुत अंतर होने के कारण दस घंटे बिजली नहीं दे पा रहे हैं। शासन स्तर से लोड सेटिंग की जा रही है। इसका समाधान भी शासन स्तर पर ही हो सकता है।
-विवेक गौतम, सहायक यंत्री बिजली कंपनी
-बहुत से किसानों ने दस घंटे बिजली न मिलने के काऱण मूंग की फसल प्रभावित होने और बिजली कंपनी के अधिकारियों का किसानों से न मिलने को लेकर ज्ञापन सौंपा है। ज्ञापन के मुताबिक करवाई के लिए बिजली कंपनी को पत्र भेजा है।
-प्रमोद गुर्जर, एसडीएम बरेली