कुपोषण के शिकार बच्चों को यह उत्पाद वास्तव में रामबाण साबित हो सकते हैं। बच्चों में कुपोषण की मुख्य वजह जब माताओं व पेट में पल रहे बच्चों को फल व हरी सब्जियां आदि नहीं मिलती तो नवजात कुपोषित पैदा होते हैं। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए स्व-सहायता समूह की महिलाओं ने गांव को कुपोषण मुक् त करने का संकल्प लेकर बच्चों व महिलाओं को कुपोषण से बचाने के लिए कुपोषण वाटिकाओं को निर्माण करना प्रारंभ कर दिया है।
जिला महिला बाल विकास के परियोजना अधिकारी ज्ञानेश खरे, जिला महिला एवंबाल विकास अधिकारी आरपी त्रिपाठी ने बताया कि आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के सहयोग से घर के आंगनबाड़ों में कुपोषण वाटिका का निर्माण करना प्रारंभ कर दिया है। अब जैविक खाद का भी इसमें उपयोग कर हरी सब्जियां, चुकंदर, गाजर, मूली सहित मुनगा की फली, लौकी, पालक आदि उगाई जाने लगी है। अधिकारी ने बताया कि महिलाएं इस वाटिका की बच्चों के समान देखभाल करती हैं। इसके अलावा नींबू, सीताफल उद्यानिकी विभाग की मदद से आम, पपीता के पौधें नि:शुल्क दिए गए हैं। वर्तमान में हरी सब्जियां व भविष्य में फल भी इन वाटिकाओं में मिलने लगेंगे।