लक्ष्य के अनुसार दो 727 आवेदन नहीं मिले। देखा जाए तो आवेदन करने में ही लक्ष्य की पूर्ति नहीं हो सकी है। हालांकि आवेदन प्रक्रिया के साथ सत्यापन भी किया जा रहा है। फिर भी लॉटरी पद्धति के दौरान जिले में आरटीइ का लक्ष्य पूरा होना संभव नजर नहीं आ रहा है। जबकि कोरोना काल से पूर्व के वर्षों में आरटीइ के तहत प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को नि:शुल्क प्रवेश दिलाने के लिए अभिभावकों में खासा उत्साह देखा जाता था। मगर कोरोना काल के बाद वर्ष 2022 में शुरू हुए शैक्षणिक सत्र में यह दौर थम सा गया।
उल्लेखनीय है कि रायसेन जिले में 490 प्राइवेट स्कूल संचालित हैं, इनमें वर्ष 2022-23 में 23 हजार 359 बच्चों के प्रवेश होने का अनुमान है। इस आरटीइ के तहत प्रत्येक स्कूल में 25 प्रतिशत गरीब बच्चों के प्रवेश देना अनिवार्य है। इस लिहाज से सात हजार 63 बच्चों का न्यूनतम प्रवेश दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। गौरतलब है कि कोरोना काल के चलते पिछले दो वर्षों में निजी स्कूलों में आरटीइ के अंतर्गत बच्चों के प्रवेश नहीं हो सके थे। इस बार पिछले दो वर्षों का लक्ष्य भी पूरा किया जा रहा है।
प्राथमिकता के बाद नहीं दिखाई रुचि
जबकि इस वर्ष शिक्षा विभाग ने कोविड संक्रमण में मृत हुए लोगों के बच्चों को मुख्यमंत्री कोविड-19 बाल कल्याण योजना में ऑनलाइन लॉटरी में प्राथमिकता देने का निर्णय लिया है। बावजूद इसके लोग नि:शुल्क पढ़ाई को लेकर बच्चे सहित उनके पालक तैयार नहीं हो सके। बताया जा रहा है कि इस प्रक्रिया का मैदानी स्तर पर प्रचार-प्रसार नहीं होने से यह स्थिति बनी। ग्रामीण एवं शहरी अंचलों में प्रचार की जिम्मेदारी संबंधित स्कूल के प्रभारियों और शिक्षकों को दी गई है। इस वर्ष के लिए यह लक्ष्य रखा गया।
-वर्तमान में अभिभावक और छात्रों का रुझान शासकीय स्कूलों में अध्ययन करने की तरफ अधिक है। प्राइवेट स्कूलों से निकलकर कई बच्चे शासकीय स्कूल में प्रवेश लेते हैं। इसके चलते भी लोगों ने इस प्रक्रिया में थोड़ी कम रुचि दिखाई।
-सीबी तिवारी, डीपीसी जिला शिक्षा केंद्र