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जिले में डीएपी की जगह मिलेगा एनपीके किसानों को लागत में हो पाएगी कमी

locationरायसेनPublished: Oct 17, 2021 11:50:34 pm

रबी मौसम में मुख्यत: गेहूं, चना, मसूर, अलसी आदि फसलों की खेती की जाती है, जिनके लिए डीएपी, यूरिया की अधिक जरूरत होती है

रबी मौसम में मुख्यत: गेहूं, चना, मसूर, अलसी आदि फसलों की खेती की जाती है, जिनके लिए डीएपी, यूरिया की अधिक जरूरत होती है

जिले में डीएपी की जगह मिलेगा एनपीके किसानों को लागत में हो पाएगी कमी

रायसेन. जिले में भी प्रदेश की तरह डीएपी की दिक्कत है, जिसके विकल्प के रूप में कृषि विभाग द्वारा किसानों को एनपीके का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है। साथ ही यह भी बताया जा रहा है कि डीएपी की जगह एनपीके के उपयोग से खेती की लागत में कमी आएगी। खाद उपलब्ध कराने के लिए जिम्मेदार मार्कफैड के अधिकारी इन दिनों कोई भी जवाब देने से बच रहे हैं। यहां तक कि फोन भी रिसीव नहीं कर रहे हैं। रबी मौसम में मुख्यत: गेहूं, चना, मसूर, अलसी आदि फसलों की खेती की जाती है, जिनके लिए डीएपी, यूरिया की अधिक जरूरत होती है। जिले में कितनी एनपीके और कितनी यूरिया उपलब्ध है कितनी मांग यह तक बताने के लिए अधिकारी तैयार नहीं हैं। हालात का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक किसी सोसायटी में किसी भी तरह का खाद नहीं पहुंचा है, अभी सोसायटियों से मांग पत्र लिए गए हैं।

खरीफ की फसलों की कटाई शुरू हो गई है, इसके साथ किसान रबी फसलों की तैयारियों में जुट गए हैं, जिसके लिए खाद का प्रबंध कर रहे हैं, लेकिन सोसायटियों में डीएपी नहीं मिलने से किसान निराश हैं। रायसेन जिले में मुख्यत: धान-गेहूं फसल चक्र का उपयोग किया जाता है। सोसायटियों के ग्रुप में भी दुकानदारों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि किसानों को एनपीके तथा एसएसपी का उपयोग करने के प्रेरित करें और सलाह दें। सोसायटियों को एक चाट बनाकर दिया गया है, जिसमें तीन स्तर पर एनपीके तथा एसएसपी की मात्रा का संतुलन बताते हुए प्रति हेक्टेयर के मान से खाद के उपयोग की सलाह दी गई है।

ये है जिले में बोवनी का लक्ष्य
कृषि विभाग द्वारा जिले में रबी फसलों की बोवनी का अनुमानिक लक्ष्य तैयार किया गया है, जिसके अनुसार रबी की खेती 04 लाख 30 हजार हैक्टेयर में होगी। इसमें 02 लाख 70 हजार हैक्टेयर में गेहूं, 01 लाख 25 हजार हैक्टेयर में चना, 30 हजार 700 हैक्टेयर में मसूर तथा 2600 हैक्टेयर में मटर की खेती का अनुमान है। बाकी अन्य फसलें लगाई जाएंगी।
-डीएपी की जगह एनपीके, एसएसपी के उपयोग से किसानों को लाभ होगा। इससे खेती की लागत कम होगी और उत्पादन भी अच्छा होगा। इसलिए किसानों को खाद के मिश्रण के तीन विकल्प बताए जा रहे हैं।
-स्वप्रिल दुबे, प्रमुख कृषि विज्ञान केंद्र नकतरा

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