स्वास्थ्य विभाग की बढ़ीं मुश्किलें
जिले में डेंगू, मलेरिया के बाद जापानी बुखार जापानी इंसेफेलाइट्स के मामले सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ी हैं। जिला मलेरिया विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में जापानी बुखार से पीडि़त तीन बच्चे मिले हैं। इनमें से एक बच्ची की मौत हो चुकी है। जबकि पीडि़त दो बच्चों का फिलहाल इलाज चल रहा है। जापानी बुखार के मरीज दाहोद औबेदुल्लागंज, छींदपुर सिलवानी और सुल्तानजहांपुर खेड़ा गैरतगंज में पाए गए हैं। वहीं जिले में ७ डेंगू के मरीज मिल चुके हैं।
जिले में डेंगू, मलेरिया के बाद जापानी बुखार जापानी इंसेफेलाइट्स के मामले सामने आने से स्वास्थ्य विभाग की मुश्किलें बढ़ी हैं। जिला मलेरिया विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार जिले में जापानी बुखार से पीडि़त तीन बच्चे मिले हैं। इनमें से एक बच्ची की मौत हो चुकी है। जबकि पीडि़त दो बच्चों का फिलहाल इलाज चल रहा है। जापानी बुखार के मरीज दाहोद औबेदुल्लागंज, छींदपुर सिलवानी और सुल्तानजहांपुर खेड़ा गैरतगंज में पाए गए हैं। वहीं जिले में ७ डेंगू के मरीज मिल चुके हैं।
जिले में जापानी बुखार के दस्तक देने से मलेरिया विभाग और स्वास्थ्य विभाग सहित अन्य विभागों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। क्योंकि यह विभाग पहले से ही मलेरिया डेंगू फैलने से परेशान है। जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. प्रियंवदा गुप्ता का कहना है जिले की तहसील सिलवानी के छींदपुर में ७ वर्षीय देविका आदिवासी पुत्री मुकेश आदिवासी को जापानी बुखार के लक्षण मिलने पर कमला नेहरू हास्पिटल भोपाल में दाखिल कराया गया है। इन तीन बच्चों में से अंशु यादव पुत्री टीकाराम यादव उम्र 11 वर्ष निवासी सुल्तानजहांपुर खेड़ा की मौत हो चुकी है। कोमल पुत्री मुकेश कुमार निवासी दाहोद 7 वर्ष भी जापानी बुखार से प्रभावित है।
मलेरिया विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक जिले में चिकनगुनिया के ४ मरीज, डेंगू के 7 और मलेरिया के 114 मरीज मिले हैं। जबकि पिछले साल 329 मलेरिया के मरीज पाए गए थे। इस साल 114मरीजों की जांच रिपोर्ट पॉजीटिव पायी गई है। इस तरह मलेरिया बुखार में जरूर निश्चित रूप से कमी आई है। पिछले साल ब्लड स्लाइडों की जांच १ लाख १२ हजार ९९ बनाई गई थीं। इस वर्ष अभी तक 1 लाख 13539 स्लाइडों की जांच की गई।
जिला अस्पताल में जांच सुविधा नहीं
जिला अस्पताल की पैथालॉजी में जापानी बुखार, चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारी की जांच सुविधा नहीं है। बताया जाता है कि जापानी बुखार की जांच के लिए मरीजों को एम्स हास्पिटल भोपाल में की जा रही है। इसी तरह चिकनगुनिया की जांच हमीदिया हास्पिटल भोपाल में की जा रही है। संयोग से अगर किसी को इन दोनेां गंभीर बीमारी के लक्षण मिल जाएं तो परिजनों को भोपाल दौड़ लगाना पड़ती है। इन बीमारियों के मरीजों के लिए जिला अस्पताल में अलग से कोई वार्ड नहीं बनाया गया है।
जिला अस्पताल की पैथालॉजी में जापानी बुखार, चिकनगुनिया जैसी गंभीर बीमारी की जांच सुविधा नहीं है। बताया जाता है कि जापानी बुखार की जांच के लिए मरीजों को एम्स हास्पिटल भोपाल में की जा रही है। इसी तरह चिकनगुनिया की जांच हमीदिया हास्पिटल भोपाल में की जा रही है। संयोग से अगर किसी को इन दोनेां गंभीर बीमारी के लक्षण मिल जाएं तो परिजनों को भोपाल दौड़ लगाना पड़ती है। इन बीमारियों के मरीजों के लिए जिला अस्पताल में अलग से कोई वार्ड नहीं बनाया गया है।
इस तरह फैलता है जापानी बुखार
जापानी बुखार एक तरह का दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण के कारण होता है। यह क्यूलेक्स ट्राइटोनॉरिंक्स मच्छर, संक्रमित अथवा जंगली पक्षियों का खून चूसते हैं तो वायरस मच्छर के शरीर में चला जाता है। अब ऐसा ही संक्रमित मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उस व्यक्ति के शरीर में वायरस पहुंच जाता है। संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण 5 से 15 दिनों में प्रकट हो जाते हैं।
जापानी बुखार एक तरह का दिमागी बुखार है, जो वायरल संक्रमण के कारण होता है। यह क्यूलेक्स ट्राइटोनॉरिंक्स मच्छर, संक्रमित अथवा जंगली पक्षियों का खून चूसते हैं तो वायरस मच्छर के शरीर में चला जाता है। अब ऐसा ही संक्रमित मच्छर जब किसी व्यक्ति को काटता है तो उस व्यक्ति के शरीर में वायरस पहुंच जाता है। संक्रमित व्यक्ति में बीमारी के लक्षण 5 से 15 दिनों में प्रकट हो जाते हैं।
ये हैं जापानी बुखार के लक्षण
बुखार, लगातार सिर दर्द, बदन, गर्दन में अकडऩ, कमजोरी व उल्टियंा होना। इसके अलावा समय के साथ सुस्ती व सिर में दर्द रहने लगता है। मरीजों को भूख कम लगती है फिर तेज बुखार आता है। कुछ समय बाद मरीज पैरालाइज्ड या फिर कोमा में चले जाने से उसकी मौत हो जाती है।
बुखार, लगातार सिर दर्द, बदन, गर्दन में अकडऩ, कमजोरी व उल्टियंा होना। इसके अलावा समय के साथ सुस्ती व सिर में दर्द रहने लगता है। मरीजों को भूख कम लगती है फिर तेज बुखार आता है। कुछ समय बाद मरीज पैरालाइज्ड या फिर कोमा में चले जाने से उसकी मौत हो जाती है।
बीमारी से बचाव के उपाय
बच्चों का समय पर टीकारण कराते रहें, सफाई रखें, मच्छरों से बचाव करें, गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें। बच्चों को बेहतर खानपान दें। बाहर के खाने से बचाएं। घरों के आसपास गंदे पानी, कीचड़, गंदगी जमा नहीं होने दें। नाली की नियमित सफाई रवाकर कीटनाशकों का छिडक़ाव कराते रहें।
बच्चों का समय पर टीकारण कराते रहें, सफाई रखें, मच्छरों से बचाव करें, गंदे पानी के संपर्क में आने से बचें। बच्चों को बेहतर खानपान दें। बाहर के खाने से बचाएं। घरों के आसपास गंदे पानी, कीचड़, गंदगी जमा नहीं होने दें। नाली की नियमित सफाई रवाकर कीटनाशकों का छिडक़ाव कराते रहें।
जिले में जापानी बुखार के 3 मरीज मिल चुके हैं। इसमें एक बच्ची की मौत हो चुकी हैं। इसके अलावा चिकनगुनिया के 4 मरीज, मलेरिया के 114 मरीज, डेंगू के 7 मरीज पाए गए हैं। लोग अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखने पर पूरा ध्यान दें। जल्द ही कीटनाशक दवा पैराथिरम आदि का छिडक़ाव सहित धुआं का स्प्रे कराया जाएगा।
डॉ. प्रियंवदा गुप्ता, जिला मलेरिया अधिकारी रायसेन