अब बारिश के मौसम ने दस्तक दे दी है। नपा प्रशासन आकाशीय बिजली के कहर से बचने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। जबकि इसके खतरे को देखते हुए टॉवरों, इमारतों के मालिकों को तडि़त चालक लगवाने के लिए जागरूक किए जाने की जरूरत है। यही नहीं पूर्व में लगाए गए मोबाइल टॉवरों और इमारतों में तडि़त चालक लगवाने की सुध भी नहीं ली जा रही है। वर्तमान में जिन भवनों पर तडि़त चालक लगे हैं, वे किस स्थिति में हैं। ठीक है या कोई तकनीकी खराब है। जिम्मेदारों ने इनकी देखरेख करना भी जरूरी नहीं समझा।
जानकारी ही नहींं
जिलेभर में कितने मोबाइल टॉवरों और बहुमंजिला भवनों में तडि़त चालक लगाए गए हैं। कितने तडि़त काम कर रहे, कितने खराब स्थिति में हैं। इसकी सही जानकारी भी जिम्मेदारी विभाग और संस्थाओं के पास नहीं हैं। खासतौर से भवन निर्माण की अनुमति देने वाली नगर पालिकाओं, नगर परिषदों व निर्माण कराने वाले विभागों के जिम्मेदारों को नियमों का पालन कराना होता है। इतना तो दूर विभागों के पास जानकारी तक मौजूद नहीं हैं।
ऐतिहासिक इमारतोंं, धरोहरों पर भी तडि़त जरूरी
शहर के आसपास ऐतिहासिक महत्व रखने वाले स्थलों पर भी तडि़त लाया जाना जरूरी होता है। मगर विश्व धरोहर सांची स्तूपों को छोड़कर एक भी जगह तडि़त चालक नहीं लगाए गए हैं, जिससे ऐतिहासिक महत्व की प्रसिद्ध इमारतों को आकाशीय बिजली से काफी खतरा बना हुआ है। वहीं इन धरोहरोंं के लिए देखने वाले देश विदेश के पर्यटकों पर भी जान का खतरा बना रहता है।
नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया के मुताबिक १२ मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले भवनों में फायर एंड लाइफ सेफ्टी के इंतजाम होना अनिवार्य है। इसके तहत भवनों में भूकंप रोधी निर्माण और मानकों के अनुसार आकाशीय बिजली से बचने तडि़त चालक का इंतजाम भी जरूरी है। रायसेन शहर में १२ मीटर से ऊंचाई वाले करीब सौ से अधिक सरकारी और निजी भवन हैं। वहीं लगभग चालीस से पचास मोबाइल टाबर भी लगे हैं। मगर अधिकांश में इन नियमों का पालन नहीं किया गया।