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रायसेन

अतिवर्षा और जलभराव को लेकर रहवासी परेशान

नगर पालिका ने सुरक्षा इंतजाम नहीं किए हैं।

रायसेनJun 29, 2018 / 02:56 pm

chandan singh rajput

banswara

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रायसेन. मानसून सीजन शुरू होते ही एक ओर जहां अतिवर्षा और जलभराव को लेकर लोगों में चिंता रहती है, तो वहीं इस सीजन में आकाशीय बिजली गिरने से होने वाले नुकसान का भी डर रहता है। यह सर्वविदित है कि आकाशीय बिजली से जान और माल दोनों का नुकसान होता है। पिछले दो सालों में जिलेभर में आकाशीय बिजली गिर जाने से ३६ लोग मौत की नंींद सो चुके हैं। पर ध्यान देने वाली बात ये है कि क्या नगर पालिका प्रशासन ने इसके कहर से बचने के लिए कोई सुरक्षा इंतजाम किए हैं। जमीनी हकीकत है नहीं, क्योंकि आज शहर सहित जिलेभर में जहां ऊंचे मोबाइल टॉवर और बड़ी इमारतें नजर आने लगी हैं।
वहीं जिम्मेदारों द्वारा उनकी सुरक्षा के मापदंडों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
अब बारिश के मौसम ने दस्तक दे दी है। नपा प्रशासन आकाशीय बिजली के कहर से बचने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहा है। जबकि इसके खतरे को देखते हुए टॉवरों, इमारतों के मालिकों को तडि़त चालक लगवाने के लिए जागरूक किए जाने की जरूरत है। यही नहीं पूर्व में लगाए गए मोबाइल टॉवरों और इमारतों में तडि़त चालक लगवाने की सुध भी नहीं ली जा रही है। वर्तमान में जिन भवनों पर तडि़त चालक लगे हैं, वे किस स्थिति में हैं। ठीक है या कोई तकनीकी खराब है। जिम्मेदारों ने इनकी देखरेख करना भी जरूरी नहीं समझा।
जबकि बारिश से पहले इनकी रिपेयरिंग कराई जाना चाहिए।
जानकारी ही नहींं
जिलेभर में कितने मोबाइल टॉवरों और बहुमंजिला भवनों में तडि़त चालक लगाए गए हैं। कितने तडि़त काम कर रहे, कितने खराब स्थिति में हैं। इसकी सही जानकारी भी जिम्मेदारी विभाग और संस्थाओं के पास नहीं हैं। खासतौर से भवन निर्माण की अनुमति देने वाली नगर पालिकाओं, नगर परिषदों व निर्माण कराने वाले विभागों के जिम्मेदारों को नियमों का पालन कराना होता है। इतना तो दूर विभागों के पास जानकारी तक मौजूद नहीं हैं।
नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया के नियमों का भी पालन नहीं किया जा रहा है।
ऐतिहासिक इमारतोंं, धरोहरों पर भी तडि़त जरूरी
शहर के आसपास ऐतिहासिक महत्व रखने वाले स्थलों पर भी तडि़त लाया जाना जरूरी होता है। मगर विश्व धरोहर सांची स्तूपों को छोड़कर एक भी जगह तडि़त चालक नहीं लगाए गए हैं, जिससे ऐतिहासिक महत्व की प्रसिद्ध इमारतों को आकाशीय बिजली से काफी खतरा बना हुआ है। वहीं इन धरोहरोंं के लिए देखने वाले देश विदेश के पर्यटकों पर भी जान का खतरा बना रहता है।
जबकि ऐतिहासिक रायसेन का किला, भीम बैठका, श्रीराम छज्जा, रमासिया की रॉक पेंटिंग्स, भोजपुर शिव मंदिर, सुनारी सतधारा के बौद्ध स्तूप, मिनी पचमढ़ी सलामतपुर, पिकनिक स्पॉट हलाली डैम के भव्य भवन आदि स्थानों पर तडि़त चालक जिम्मेदारों ने लगाना मुनासिब नहीं समझा है। रायसेन शहर सहित जिलेभर के शॉपिंग कॉम्पलेक्स सहित ऊंची इमारतों के अलावा सरकारी भवनों पर भी तडि़त चालक नहीं लगे हैं।
१२ मीटर से अधिक ऊंचाई वाले भवनों में अनिवार्य
नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ इंडिया के मुताबिक १२ मीटर से ज्यादा ऊंचाई वाले भवनों में फायर एंड लाइफ सेफ्टी के इंतजाम होना अनिवार्य है। इसके तहत भवनों में भूकंप रोधी निर्माण और मानकों के अनुसार आकाशीय बिजली से बचने तडि़त चालक का इंतजाम भी जरूरी है। रायसेन शहर में १२ मीटर से ऊंचाई वाले करीब सौ से अधिक सरकारी और निजी भवन हैं। वहीं लगभग चालीस से पचास मोबाइल टाबर भी लगे हैं। मगर अधिकांश में इन नियमों का पालन नहीं किया गया।

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