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आखिर करना क्यों करना पड़ा भैंस के सींग का मेडिकल, जानकर हैरान रह जाएंगे

locationरायसेनPublished: Oct 26, 2017 01:06:05 pm

उमरावगंज थाना क्षेत्र की खरबई चौकी के गांव महादेव पानी टोला और रमासिया के लोगों के बीच भैंस चोरी का था विवाद

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रायसेन। जिला मुख्यालय की कोतवाली बुधवार को किसी पंचायत की तरह नजर आई। जहां एक भैंस के मालिका का फैसला करने के लिए दो गांवों के लगभग 50 लोग मौजूद थे। हालांकि यह पंचायत भी भैंस के मालिका फैसला नहीं
कर सकी। अंतत: पुलिस ने पशु चिकित्सक को बुलाकर मेडीकल परीक्षण कराया, तब कहीं भैंस के असली मालिक की पहचान हो सकी।
मामला उमरावगंज थाना क्षेत्र की खरबई चौकी के गांव महादेव पानी टोला और रमासिया के लोगों के बीच भैंस चोरी के विवाद का था। जो लगभग 90 दिन से पुलिस के सामने था और पुलिस इस मामले में कोई निर्णय नहीं कर पा रही थी।
बुधवार को पुलिस की सलाह पर दोनों पक्षों के लोगों ने कोतवाली परिसर में पेड़ के नीचे बैठकर पंचायत लगाई। जिसमें भैंस विवाद का हल निकाला गया।

खरबई चौकी प्रभारी नरेन्द्र पांडेय ने बताया कि महादेव पानी टोला निवासी भंवरलाल की एक भैंस सहित गांव की तीन अन्य भैंसे भी 11 अक्टूबर को कहीं गुम हो गई थी। तलाश करने पर भी पता नहीं चला तो उसने 19 अक्टूबर को चौकी में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद से भंवरलाल को रामासिया गांव के रूपसिंह के यहां पर उसकी भैंस बंधी होने की सूचना मिली। भैंस लेने भंवरलाल रामासिया पहुंचा, तो रूप सिंह ने भैंस देने से इंकार कर दिया। चौकी प्रभारी ने बताया कि रूप सिंह डेढ़ वर्ष पहले गुम हुई इस भैंस को अपनी बता रहा था।
सींग पर अटका मामला

रामासिया के रूप सिंह का कहना है कि उसकी भैंस के सींग कटे हुए हैं। जबकि भंवरलाल ने सींग को घिसा हुआ बताया। इसी बात का हल दोनों पक्षों में नहीं निकल पा रहा था। इसके लिए चौकी प्रभारी पांडेय ने दोनों पक्षों को दो फार्मूले बताए। पहला सींग का परीक्षण पशु चिकित्सक से कराया जाए। दूसरा फार्मूला दोनों गांवों के मध्य में भैंस को खड़ा कर दिया जाए। भैंस जिस दिशा में जाएगी उसी भैंस मानी जाएगी। लेकिन दोनों पक्षों में कोतवाली परिसर में पंचायत के दौरान डॉक्टर से मेडिकल कराने पर सहमति बनी। खंड पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरके शुक्ला और डॉ. चक्रेश ठाकुर ने भैंस का मेडीकल परीक्षण किया।
मेडीकल परीक्षण से हुआ निर्णय

चौकी प्रभारी नरेन्द्र पांडेय ने बताया कि दोनों पक्षों के दावों के चलते निर्णय नहीं हो पा रहा था। इस कारण पशु चिकित्सक से मेडिकल कराने का सुझाव दिया गया। मेडीकल होने के बाद सींग घिसे होने की रिपोर्ट पशु चिकित्सकों द्वारा दी गई। इसके बाद उक्त भैंस भंवरलाल को सौंप दी गई। रूप सिंह की भैंस भी डेढ़ वर्ष पहले गुम हुई थी। उसने भी इसकी शिकायत कोतवाली में दर्ज कराई थी। इस कारण रूप सिंह पर चोरी का प्रकरण दर्ज नहीं होगा। क्योंकि भैंस की कोई पहचान नहीं होती और उसने अपनी भैंस समझकर बांध लिया।
इनका कहना है

कोतवाली पुलिस के बुलावे पर परिसर में पहुंचकर भैंस के सींग का मेडिकल परीक्षण किया गया। इस दौरान भैंस के सींग घिसे हुए मिले। सींग कटे होने जैसे कोई निशान नहीं मिले। परीक्षण कर यह रिपोर्ट पुलिस को दी गई।
डॉ. आरके शुक्ला, खंड पशु चिकित्सा अधिकारी सांची-रायसेन

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