जिला सहकारी बैंक के अनुसार तीन सौ १३ करोड़ ४१ लाख ७८ हजार रुपए का भुगतान अभी किया जाना बाकी है। बताया जा रहा है कि जिला सहकारी बैंक को गेहूं खरीदी कराने वाले नागरिक आपूर्ति निगम और चना, मसूर खरीदी करा रहे विपणन संघ से भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है, तो बैंक भी किसानों को कैसे भुगतान कर सके गा। मगर इन सब के बीच किसान काफी परेशानी में दिखाई दे रहा है। प्रतिदिन जिला सहकारी बैंक और अन्य बैंक शाखाओं में पहुंचकर अपने भुगतान की जानकारी लेने के लिए किसान चक्कर लगा रहे।
अब बोवनी कैसे करें
बेची गई उपज की राशि किसानों को नहीं मिली, तो किसान अब सोयाबीन की बोवनी और धान लगाने की तैयारी कैसे करेंगे। बोवनी से लेकर फसल पैदावार करने और फिर उसे मंडी में बेचने के दौरान खासी परेशानी उठाने के बाद किसान भुगतान के लिए भी लंबी जद्दोजहद से गुजर रहे हैं। इस कारण कई किसानों के सामने खरीफ फसलों की बोवनी करना मुश्किल भरा साबित हो रहा है। गिरवर के किसान भगवान सिंह ने बताया कि अपै्रल माह में गेहूं बेचा गया था। ७५ हजार रुपए अब तक नहीं मिले और चने के ८३ हजार ३२५ रुपए भी नहीं मिल सके।
इसी तरह की स्थिति कांठ के देवचरण ने बताई। उनको भी ६५ हजार रुपए की राशि नहीं मिल सकी। जबकि देवचरण ने २५ अप्रैल को गेहूं बेचा था। किसान अंकित पटेल ने बताया कि उन्होंने अप्रैल माह के अंतिम सप्ताह में ६० क्विंटल चना बेचा था और अब भुगतान नहीं हो सका। उन्हें दो लाख ६७ हजार रुपए लेना बाकी है।
गेहूं के ६८३ किसानों का अटका १५ करोड़ से अधिक
समर्थन मूल्य पर गेहूं खरीद बंद हुए करीब १५ दिन से ज्यादा का समय बीत गया है। पर ६३८ किसानों को अब तक रुपया नहीं मिल सका। बैंक सीईओ आरपी हजारी ने बताया कि गेहूं के किसानों को १५ करोड़ ४४ लाख रुपए का भुगतान किया जाना है।
वेयर हाउस रिसीव नहीं मिलने से नागरिक आपूर्ति निगम से भुगतान राशि प्राप्त नहीं हो सकी है। इस कारण भुगतान अटका है। सीईओ ने बताया कि निगम से गेहूं खरीदी के ७१ करोड़ ५२ लाख ७५ हजार रुपए लेना है। मगर किसानों की परेशानी को देखते हुए बैंक प्रबंधन द्वारा स्वयं की मद से ५६ करोड़ आठ लाख ७५ हजार रुपए का भुगतान कर दिया गया है।
&नागरिक आपूर्ति निगम से गेहूं खरीदी का ७१ करोड़ रुपए से अधिक का भुगतान नहीं मिला है। वहीं चना खरीदी कार्य विपणन संघ द्वारा सहकारी समितियों से कराया जा रहा है। विपणन संघ से भी भुगतान समय पर नहीं मिल पा रहा है।
इस कारण किसानों की राशि अटकी हुई है। बैंक को जैसे ही संबंधित एजेंसी या विभागों से रुपया मिलता है। तत्काल किसानों के खाते में भुगतान किया जाता है।
– आरपी हजारी, सीईओ, जिला सहकारी बैंक।