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जिलेभर में सर्व पितृ अमावस्या पर नर्मदा घाटों पर तर्पण कर लोगों ने पुरखों को दी विदाई दी

locationरायसेनPublished: Sep 17, 2020 11:49:16 pm

दोपहर तक लोगों ने अपने-अपने पितरों को दी विदाई

जिलेभर में सर्व पितृ अमावस्या पर नर्मदा घाटों पर तर्पण कर लोगों ने पुरखों को दी विदाई दी

जिलेभर में सर्व पितृ अमावस्या पर नर्मदा घाटों पर तर्पण कर लोगों ने पुरखों को दी विदाई दी

थालादिघावन. गुरुवार को सर्वपितृ अमावास्या पर पितरों को विदाई देने के लिए सुबह से ही नर्मदा तट शोकलपुर घाट पर श्रद्धालुओं का पहुंचना प्रारंभ हो गया था। दोपहर तक लोगों ने अपने-अपने पितरों को दी विदाई। अमावस्या के दिन ज्ञात-अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। इस दिन ज्ञात अज्ञात पितरों का श्राद्ध किया जाता है। इस बार सर्व पितृ अमावस्या गुरुवार को है। इसे आश्विन अमावस्या, बड़मावस और दर्श अमावस्या भी कहा जाता है। पंडित सुनिल शर्मा ने बताया कि सर्व पितृ अमावस्या श्राद्ध पक्ष का अंतिम दिन होता है। यह पितरों की विदाई का दिन होता है। इसे पितृ विसर्जन अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है। यह अमावस्या पितरों के लिए मोक्षदायनी अमावस्या मानी जाती है। इस दिन श्राद्ध पक्ष का समापन होता और पितृजन अपने लोक लौट जाते हैं।
गुरुवार को अमावस्या पर बना विशेष संयोग
अमावस्या के दिन ब्राह्मण भोजन एवं दान आदि से पितृजन तृप्त होते और जाते समय अपने पुत्र, पौत्रों एवं परिजनों को आशीर्वाद देकर जाते हैं। सुनील शास्त्री ने बताया कि मान्यता के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि गुरुवार का दिन पितरों के विसर्जन के लिए उत्तम माना जाता है। इस दिन पितरों को विदा करने से पितृ देव बहुत प्रसन्न होते हैं। क्योंकि यह मोक्ष देने वाले भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। इस कारण सर्व पितृ अमावस्या के दिन पितरों का विसर्जन विधि विधान से किया जाना चाहिए। सर्व पितृ अमावस्या के दिन भी भोजन बनाकर कौवे, गाय और कुत्ते को खिलाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि पितर देव ब्राह्मण और पशु पक्षियों के रूप में अपने परिवार वालों द्वारा दिया गया तर्पण स्वीकार कर उन्हें आशीर्वाद देते हैं।
लोगों ने पितृों को प्रसन्न करने किया तर्पण
सुल्तानगंज/बेगमगंज. सर्व पितृमोक्ष अमावस्या पर गुरुवार को लोगों ने अपने पुरखों का तर्पण कर श्राद्ध किया। यह पितृ पक्ष की अंतिम तिथि थी इसके साथ ही श्राद्ध समाप्त हो गए। यदि पूरे पितृपक्ष में किसी का श्राद्ध करना भूल गए हैं या मृत व्यक्ति की तिथि मालूम नहीं है तो इस तिथि पर उनके लिए श्राद्ध किया जा सकता है। पंडित कमलेश शास्त्री ने बताया कि जब कुंडली में पितृदोष, गुरु चांडाल योग, चंद्र या सूर्य ग्रहण योग हो तो इस दिन विशेष उपाय किए जा सकते हैं। अमावस्या पर सभी ज्ञात-अज्ञात पितरों का पिंडदान करना श्रेष्ठ माना जाता है। मान्यता है कि पितृपक्ष में सभी पितर देवता धरती पर अपने-अपने कुल परिवारों में आते हैं। धूप-ध्यान, तर्पण आदि ग्रहण करते हैं। जो अमावस्या पर पितृलोक में चले जाते हैं। श्राद्ध पक्ष में पूर्वजों का स्मरण, उनकी पूजा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है।
नर्मदा तट पर तर्पण कर पुरखों को दी विदाई
उदयपुरा. गुरुवार को पितृ पक्ष का अंतिम दिन था। सुबह से मां नर्मदा के तटों, नदियों में लोगों ने पहुंचकर अपने-अपने पुरखों को तिलजल से जलांजलि अर्पित कर विदा किया। सर्व पितृ अमावस्या पर अंतिम दिन लोग पूर्वजों से आशीर्वाद प्राप्त किया। पंडितों के अनुसार जिन लोगों को उनके पुरखों की मृत्यु की तिथि याद नहीं है। इसके अलावा जिन लोगों ने प्रथमा तिथि से पूर्वजों की श्राद्ध नहीं कर पाए हैं वे भी आज उनका श्राद्ध, तर्पण कर विदाई कर सकते हैं।
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