यह यात्रा शोकलपुर तट से प्रारंभ होकर रिछावर, रम्पुरा, पतई, सिद्ध घाट, गाऊ घाट से वापस शोकलपुर पहुंचकर पूरी होती है। नीलकुंड घाट की मान्यता है कि भगवान राम ने वनवास के समय इसी स्थान पर विश्राम किया था। इसलिए इस तट का महत्व और अधिक बढ़ गया है। पूरे नर्मदा क्षेत्र में मात्र इसी नीलकुंड घाट से पंचकोशी यात्रा का महत्व पुराणों में है। वहीं रिछावर घाट पर जामवंत की गुफ ा भी है। शोकलपुर घाट पर गुरु महाराज स्वामीजी की जीवित समाधि है और तीन नदियों का संगम है।
पतई घाट पर विशाल प्राचीन मंदिर बना हुआ और सिद्धघाट पर आज भी डायनासुर के चित्र पाए जाते हैं। इस कारण शोकलपुर घाट पर पंचकोशी परिक्रमा महत्व इसी घाट पर है।
20 नावों की व्यवस्था पंचकोशी परिक्रमा में
शोकलपुर घाट के अलावा अन्य घाटों पर पुलिस जवान तैनात रहे। यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को एक से दूसरे घाट ले जाने के लिए 20 नाव की व्यवस्था की गई थी।
नावों में क्षमता से अधिक श्रद्धालु पार करते हैं। ऐसे में गोताखोर भी तैनात किए गए थे। चार बजे शुरु यात्रा रात आठ के बाद समाप्त हुई। नर्मदा किनारे थाना प्रभारी अनिरुद्ध गौर एवं तहसीलदार विराट अवस्थी निरीक्षण करते रहे।
4 जिलों सें आए श्रद्धालु
पंचकोशी यात्रा में रायसेन के अलावा नरसिंहपुर, सागर और होशंगाबाद जिलों से आए श्रद्धालु भी शामिल हुए। मां नर्मदा मंडल सहित ग्रामीणों ने यात्रियों का चाय, फ लाहार, मंथा, खीर आदि की व्यवस्था की गई। सभी पंचकोशी यात्रा यात्रियों को भोजन प्रसादी कराकर स्वागत किया गया।
गाऊ घाट पर चाय खीर की व्यवस्था
नर्मदा भक्त मंडल द्वारा नर्मदा तट गाऊ धाट पर विशाल पंडाल लगाकर चाय फ लाहार की व्यवस्था की गई। सभी यात्रियों को प्रसादी कराकर पंचकोशी यात्रा के लिए आगे बढ़ाते रहे। समिति के सदस्यों ने बताया कि हम प्रतिवर्ष यह व्यवस्था करते हैं। समिति के सदस्यों ने बताया कि इस वर्ष 50 हजार डिस्पोजल दोने आदि की व्यवस्था की गई है।