scriptकागजों में ही पूरे हुए जल निगम-पीएचई के प्रोजेक्ट, गांव अभी भी गांव प्यासे | Projects of Jal Nigam-PHE completed in paper only | Patrika News

कागजों में ही पूरे हुए जल निगम-पीएचई के प्रोजेक्ट, गांव अभी भी गांव प्यासे

locationरायसेनPublished: Jul 03, 2022 02:53:54 pm

– दो साल बाद भी योजनाएं अधूरी
– पर्याप्त जल स्त्रोतों के बावजूद नहीं सुधरी जल वितरण व्यवस्था
– जिलेभर में पेंडिंग हैं काम, पीएचई का नरसिंहगढ़ और ब्यावरा में काम वह भी अधूरा, बाकी जगह जल निगम कर रहा काम

byawara_work.png

राजगढ़ (ब्यावरा)। जिले में मोहनपुरा, कुंडालिया, बाकपुरा, कुशलपुरा और अन्य तमाम प्रकार की बड़ी परियजनाएं बने समय हो गया है। बावजूद इसके अभी तक गांव प्यासे हैं, उन्हें पानी नहीं मिल पा रहा है। दो साल की समय सीमा पूरी होने के बावजूद पीएचई और जल निगम के अपने-अपने तर्क हैं।

दरअसल, हर बार कलेक्टर की सख्ती और टीएल बैठकों में होने वाली चर्चा के बावजूद दोनों विभागों के काम कागजों से बाहर नहीं निकल पाए हैं। पीएचई ने अपने प्रोजेक्ट में जिन गांवों में काम पूरा होना बताया है वहां अभी भी लोगों को पानी की दिक्कतें हैं। जहां लाइनें बिछाने, टैंक बनाने के दावे किए जा रहे हैं हकीकत में वे हुए ही नहीं। अब बारिश सिर पर है, फिर से मौसम और बारिश का तर्क देकर काम को रोक दिया जाएगा और मामला ठंडे बस्ते में चला जाएगा।

दो साल वैसे ही प्रोजेक्ट देरी से चल रहा है, जिससे न सिर्फ राजगढ़, ब्यावरा बल्कि खिलचीपुर, जीरापुर, सारंगपुर और नरसिंहगढ़ में भी ये योजनाएं अधूरी हैं। कुल मिलाकर शासकीय योजनाओं को जिम्मेदारों की निष्क्रियता के चलते सरेआम मिलीभगत कर पलीता लगाया जा रहा है।

जल निगम: दो साल देरी, फिर भी कहीं लाइन नहीं तो कहीं नल-
पीएचई के साथ ही जल निगम के भी हालात दयनीय हैं। अब बारिश सिर पर है, काम बंध करने का अपना एक तर्क विभाग को मिल जाएगा। ब्यावरा में पहाडग़ढ़ परियोजना में 79 गांव हैं, जिनमें से दो या तीन में ही काम पूरा हो पाया है। वहीं, बांगपुरा-कुशलपुरा परियोजना में 125 गांव में काम चल रहा है, जिनमें किसी में पाइप लाइन नहीं डली तो किसी में नल नहीं लगे।

यही हाल राजगढ़ में गौरखपुरा परियोजना से डाली गई लाइन के हैं। 421 गांव मोहनपुरा परियोजना के हैं और कुंडालिया के भी गांवों का काम चल रहा है। जल गिनम के जिला प्रबंधक रवि अग्रवाल का कहना है कि टेस्टिंग कमिश्नरिंग इसमें की जा रही है। जिन ठेकेदारों ने लेटलतीफी की है उन्हें नोटिस देंगे और कार्रवाई करेंगे। उनका दावा है कि कुछ गांवों में पूरी तरह से सप्लाई शुरू कर दी गई है। जल्द ही बचे हुए गांवों में भी पानी पहुंचने लगेगा।

…और हकीकत ये…

– पीएचई ने जहां ट्यूबवेल लगाए उनमें मोटर-पाइप का पता नहीं।

– जिन गांवों में पानी का दावा वहां आधों में भी नहीं पहुंचा।

– ब्यावरा के साथ ही नरसिंहगढ़ के भी यही हाल।

– पाइप बिछाए नहीं और राशि जारी कर दी गई।

– कम बताकर ज्यादा गहरी दर्शा दी गई ट्यूबवेल खनन।

पीएचई का दावा-

51 ब्यावरा के गांवों में चल रहा काम।

15 में काम हुआ पूरा।

298 गांव नरसिंहगढ़ में।

28 में हो चुका है पूरा काम।

64 गांव ऐसे जहां टेस्टिंग जारी।

पीएचई का तर्क: 3 ठेकेदारों पर लगाई पेनॉल्टी-
जानबूझकर की गई लेटलतीफी और अनदेखी को लेकर पीएचई का अपना तर्क है, ईई का कहना है कि हमने देरी करने वाले ठेकेदारों पर पेनॉल्टी लगाई है। हालांकि यह नाकाफी है। ऐसे प्रोजेक्ट जो ज्यादा जरूरी थे और बड़े थे उन पर विभाग ने ध्यान नहीं दिया। अलग-अलग दर निर्धारित कर पेनॉल्टी लगाई गई है। ईई का कहना है कि प्रेम कंस्ट्रक्श (पांच गांव की जिम्मेदारी), दिशा कंस्ट्रक्शन (तीन गांव की जिम्मेदारी) और एक अन्य पांच गांव की जिम्मेदारी वाली कंस्ट्रक्शन कंपनी है। इन पर अलग-अलग प्रतिशत के हिसाब से पेनॉल्टी लगाई गई है।

देरी करने वालों पर पेनॉल्टी लगाई है
जिन्होंने देरी की है उन पर हम पैनॉल्टी लगाई है। साथ ही हमारा काम सतत चल रहा है। संबंधित टेकेदारों को हमने कह दिया है कि काम पूरा करें। जहां काम पूरा हो चुका है वहां सप्लाई शुरू कर दी है, उसकी सूची हम दे देंगे, जाकर देखा जा सकता है।
– गोविंद भूरिया, ईई, पीएचई

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो