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स्वादिष्ट और बीमारियों से मुक्त सोयाबीन की खेती से बढ़ेगी आाय

locationरायसेनPublished: Sep 24, 2021 09:31:40 pm

Submitted by:

praveen shrivastava

इंदौर के वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की तीन नई किस्में की तैयार, कृषि विज्ञान केंद्र नकतरा में दो बीज लगाकर किया जा रहा प्रयोग।

स्वादिष्ट और बीमारियों से मुक्त सोयाबीन की खेती से बढ़ेगी आाय

स्वादिष्ट और बीमारियों से मुक्त सोयाबीन की खेती से बढ़ेगी आाय

प्रवीण श्रीवास्तव, रायसेन. सोयाबीन को फाइबर सहित कई पौष्टिक तत्वों से भरपूर बताया जाता है, लेकिन इसे खाने में लोग संकोच करते हैं। इसका कारण सोयाबीन के आटे और तेल से आने वाली विशेष गंध है। इसकी वजह से लोग इस अनाज के पौष्टिक गुणों का लाभ नहीं ले पाते हैं। इंदौर के कृषि वैज्ञानिकों ने सोयाबीन की तीन ऐसी किस्मो को विकसित किया है, जिनमें किसानो को अच्छा उत्पादन मिलने के साथ बिना किसी गंध के पौष्टिक तत्व भी मिलेंगे। रायसेन के कृषि विज्ञान केंद्र में इन किस्मों की फसल लहलहा रही हैं। फिलहाल कुछ रकबा में ही प्रायोगिक तौर पर नई किस्मों की बोवनी की गई है। आने वाले समय में ये बीज किसानो को भी उपलब्ध होंगे।
कृषि विज्ञान केंद्र नकतरा के प्रमुख तथा वैज्ञानिक डा. स्वप्रिल दुबे ने बताया कि भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने एनआरसी-130, एनआरसी-138, एनआरसी-142 किस्में विकसित की हैं, जो आने वाले दिनों में नई क्रांति ला सकती हैं। मध्यप्रदेश को सोयाबीन राज्य कहा जाता है व सोयाबीन की खेती 50 से 60 लाख हैक्टेयर में की जाती है। वर्तमान में सोयाबीन की प्रचलित किस्मों से किसान को प्रति एकड़ 1185 किग्रा/हैक्टेयर के आस-पास है। मध्यप्रदेश में यह 789 किग्रा/हैक्टेयर है, जबकि रायसेन में 450 किग्रा/हैक्टेयर रही है। सोयाबीन की उत्पादकता में कमी का मुख्य कारण मानसून की अनिश्चितता, कम व अधिक वर्षा, लम्बे अंतराल तक पानी न गिरना व बीमारियां हैं। फिलहाल सोयाबीन की प्रचलित किस्में जेएस-335 (वर्ष 1984), जेएस-9305 (वर्ष 2002), जेएस-9560 (वर्ष 2007) हैं। ये किस्में पुरानी होने के कारण फसलों में कीट व रोगों का प्रकोप अत्यधिक आ रहा है।
इन नई किस्मों से बढ़ेगा उतपादन
सोयाबीन अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित किस्म एनआरसी-130 का उत्पादन 15 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होना बताया जा रहा है। यह 92 दिन में पकने वाला बीज है। चारकोल रॉट के प्रति मध्यम प्रतिरोधी है। इसी तरह एनआरसी-138 का उत्पादन 18 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होगा, यह भी 90 दिन वाली फसल है। चारकोल रॉट और यलो मोजेक प्रतिरोधी है। एनआरसी-142 बीज 95 दिन में फसल देगा, इसका उत्पादन 20 क्विंटल प्रति हैक्टेयर तक होगा। तमाम बीमारियों से मुक्त और खाद्य गुणों के लिए उपयुक्त होगा। कुनित्ज ट्रिप्सन इन्हिबिटर व लायपोक्सिजिनेज-2 से मुक्त होगा।
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