राधा-कृष्ण के प्रेम का मूर्त रूप है बंशी
श्री राम कथा व्यास राजेंद्र दास महाराज ने सुनाई बंशी की महिमा।
रायसेन
Published: May 12, 2022 08:57:26 pm
बरेली. हनुमान गढ़ी मंदिर पर चल रही श्री रामकथा के दूसरे दिन गुरुवार को एकादशी पर कथा व्यास राजेंद्रदास महाराज ने भगवान श्री कृष्ण की बंशी के अवतार दिवस और श्री रामचरित्र मानस के महत्व का वर्णन किया।
कथा व्यास ने बताया कि वैशाख शुक्ल पक्ष एकादशी पर भगवान श्री कृष्ण की बंशी का अवतरण दिवस है। यह बंशी भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के प्रेम का मूर्त रूप है। बृंदावन में आज बड़ा महोत्सव होता है। जिस बशी को निरंतर भगवान के अधर सुधारस पान करने का अवसर मिला है। राधा ही कृष्ण का रूप है और कृष्ण ही राधा का रूप है। बंशी को भगवान श्रीकृष्ण और राधाजी दोनों के अधर रस पान करने का अवसर मिला है। वंशी के प्रकाट्य का प्रयोजन प्रेम रस की बरसात करना है। कथा व्यास ने मधुर आवाज में संगीत पर बधाई गीत गाया और नगर वासियों को बधाई दी।
श्रीरामचरित्र मानस श्रीराम का बागम्य विग्रह है
कथाव्यास ने कहा कि श्रीरामचरित्र मानस जिसे तुलसीदास जी ने श्रीमदरामायण भी कहा है।, श्रीमद रामायण अर्थात भगवान श्रीराम का घर है। श्रीरामचरित्र मानस में भगवान पूरे परिवार के साथ बसते हैं। श्रीरामचरित्र मानस साक्षात बागम्य विग्रह है। श्री रामचरित्र मानस की एक एक पंक्ति एक एक दोहा में भगवान से मिलाने की क्षमता है। महाराज ने विस्तार से बताया कि श्रीरामचरितमानस का गायन और पाठन करने से पहले भाग में ही देवी सरस्वती और गणेश जी की वंदना करना चाहिए।
भगवान की तरह करें ग्रंथों और शास्त्रों का आदर
कथा व्यास बताते हैं कि हमें पोथी, ग्रंथों, शास्त्रों का आदर सम्मान करना चाहिए। श्रीराम चरित्र मानस सहित सभी ग्रंथ, शास्त्र भगवान का ही रूप होते हैं। यदि हम शास्त्रों ग्रंथों का आदर और सम्मान नहीं करेंगे तो हमें इनके पाठन करने से कोई पुण्य लाभ नहीं मिलता। सिख पंथ शास्त्रों ग्रंथों का आदर करने में आदर्श संप्रदाय है, जो पूरी तरह ग्रंथों को भगवान का स्वरूप मानते हैं। गुरु ग्रंथ साहब बाजार में भी नहीं मिलता। गुरु ग्रंथ साहब जिस प्रेस में छपता है वहां के कर्मचारी प्रेस में जूता पहनकर भी नहीं जाते। उन्होंने कहा कि ऐसी शोभायात्रा निकालने का कोई मतलब नहीं जिसमें ग्रंथों को यजमान पैदल लेकर चलते हैं। जबकि अन्य विशिष्टजन छत्र के साथ रथ में विराजते हैं।
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राधा-कृष्ण के प्रेम का मूर्त रूप है बंशी
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