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सत्यापन के चक्कर में बीस फीसदी उपभोक्ताओं का राशन अटका

पीडीएस राशन कार्ड के लिए आधार अधर में 8० फीसदी बायोमीट्रिक सत्यापन हुआ

रायसेनFeb 25, 2018 / 06:26 pm

योगेंद्र Sen

रायसेन। राशन दुकानों पर अब गरीब उपभोक्ताओं के लिए खाद्यान्न सहित केरोसिन वितरण व्यस्था में पूरा बदलाव हो चुका है। जिले की सभी 554 राशन दुकानों में पीओएस मशीनें स्थापित की गई हैं। दरअसरल इस मामले में जनप्रतिनिधियों सहित विभागीय आला-अफसरों ने जमकर यह ढि़ंढोरा पीटा कि अब राशन, केरोसिन की कालाबाजारी पर सख्ती से रोक लग जाएगी। लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद नतीजा सिफर ही निकला। जिले में महज 80 प्रतिशत लोगों को ही पीओएस मशीनों से थंब लगाकर पीडीएस दुकानों से राशन बांटा जा रहा है। लगभग २० फीसदी ऐसे उपभोक्ता हैं जिनके पास आधार कार्ड भी मौजूद नहीं हैं।

बताया जा रहा है कि करीब 20 प्रतिशत उपभोक्ताओं के राशन कार्ड, आधार कार्ड से लिंक नहीं हो सके। ऐसे में इन उपभोक्ताओं के बायोमीट्रिक सत्यापन भी नहीं हो पाया। जिससे गरीब उपभोक्ताओं को राशन, केरोसिन के लिए भटकना पड़ रहा है। बताया जा रहा है कि गरीबों के हिस्से का राशन, केरोसिन जिम्मेदारों की मिलीभगत से गोलमाल हो रहा है। जबकि उनके हिस्से का राशन कोटा हर माह विभाग द्वारा आवंटित किया जा रहा है। वहीं जिम्मेदार विभाग के अधिकारी मौन साधे हुए हैं।

जिम्मेदार हैं निष्क्रिय कैसे कसें नकेल
पीडीएस राशन दुकानों में राशन, केरोसिन वितरण में घालमेल नहीं हो। पात्र हितग्राहियों को समय पर वितरित किया जाए। इसलिए जिम्मेदार विभाग के अधिकारियों का सक्रिय होना बेहद जरूरी होता है। लेकिन जिला खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के निरीक्षकों से लेकर जिम्मेदार निगरानी समिति भी यहां लंबे समय से निष्क्रिय हैं। हालांकि बीते माह कलेक्ट्रेट में हुई बैठक में प्रभारी मंत्री सूर्यप्रकाश मीणा ने अव्यवस्थाओं को लेकर जिम्मेदारों को फटकार भी लगाई थी। इसके बावजूद स्थिति नहीं सुधर सकी।

शहर के उपभोक्ता तब्बसुम बी, कुलसुम खान, रेलम बाई आदिवासी, रुक्मिणि धाकड़, सलीम मोहम्मद, दुल्लू खान आदि ने बताया कि आधार कार्ड न होने की वजह से उन्हें राशन से वंचित होना पड़ रहा है।

फैक्ट फाइल
जिले में राशन दुकानों की संख्या-५४४
निगरानी समिति की जिला स्तरीय बैठक साल में कितनी बार-०२
जिले में कुल राशन उपभोक्ताओं की संख्या-९ लाख ८१ हजार ५५०

फोर जी के युग में भी बढ़ी परेशानी

विभाग के अधिकारी भी इस मामले को लेकर हैरानी में हैं फोर जी के इस युग में शहरी सीमा की राशन दुकानों में पीओएस मशीनों को नेटवर्क आखिर क्यों नहीं मिल पा रहा है? सर्वर डाउन रहने से उपभोक्ताओं को कतारों में खड़ा होना पड़ता है। पीओएस मशीनों के जरिए बायोमेट्रिक सत्यापन कर राशन, केरोसिन वितरण में हेराफेरी करना बड़ा मुश्किल है। जबकि मैनुअली राशन वितरण के दौरान राशन दुकानों से घालमेल की पूरी गुंजाइश रहती है। राशन दुकानों पर वितरण-व्यवस्था पर पैनी निगरानी रखने के लिए समिति निगाहें रखती हैं। साल में चार से छह बैठकों होने का नियम बनाया गया है। यह बैठक प्रभारी मंत्री, कलेक्टर की मौजूदगी में होती है। लेकिन एक साल गुजर जाने के बाद भी बमुश्किल दो निगरानी समिति की बैठकें हो सकी हैं।

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