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माता-पिता को ही माना शिव और शक्ति

locationरायसेनPublished: Oct 12, 2021 10:22:50 pm

Submitted by:

praveen shrivastava

बेटी ने आजीवन अविवाहित रहकर माता पिता की सेवा करने का लिया संकल्प।

माता-पिता को ही माना शिव और शक्ति

माता-पिता को ही माना शिव और शक्ति

सत्यवन गोस्वामी, सुल्तानगंज. अपने नाम के अनुरूप शिक्षिका वसुंधरा ठाकुर ने आजीवन अविवाहित रहकर अपने माता-पिता की सेवा करने की जिम्मेदारी अपने कांधों पर उठाई है। ग्राम पंदरभटा निवासी वसुंधरा उन लोगों के लिए मिसाल हैं, जो अपने सुख के लिए माता पिता को वृद्धाश्रम में छोड़ देते हैं। दुआ जिंदगी बना देगी, खुद तो रोएगी मगर तुम्हें हंसा देगी, कभी भूलकर भी ना रुलाना माता-पिता को, एक छोटी सी गलती पूरा अर्श हिला देगी। इन्हीं शब्दों को ध्येय मान कर वसुंधरा ने अपने वृद्ध माता-पिता के लिए अपनी जिंदगी न्योछावर कर दी। शिक्षिका वसुंधरा ठाकुर ने अपने माता-पिता की सेवा के लिए 20 वर्ष पहले आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लिया था, जिस पर आज भी कायम हैं। वे नवरात्रि में अपने माता-पिता को शिव और शक्ति मान कर उनकी पूजन करती हैं।
गांव के निवासी अमित यादव ने बताया शिक्षिका वसुंधरा ठाकुर अपने माता-पिता का खास ख्याल रखती हैं। साथ ही उनकी खुशी के लिए हर वह काम करती हैं जो उनके माता-पिता चाहते हैं। नवरात्रि में जब उनके माता-पिता ने रानगिर माता हरसिद्धि के दर्शन की इच्छा जाहिर की तो उन्होंने गांव के समाजसेवी युवक अमित यादव एवं रामपाल यादव को साथ लेकर रानगिर पहुंची। जहां भीड़ अधिक होने पर डेढ़ किलोमीटर दूर से दोनों युवकों ने शिक्षिका के वृद्ध एवं बीमार माता-पिता को गोद में उठाकर मंदिर ले जाकर हरसिद्धि माता के दर्शन करवाए।
शिक्षका वसुंधरा के पिता दिलीप सिंह एवं माता राजकुमारी ने बताया कि उनके एक पुत्र की 18 वर्ष की आयु में ही मृत्यु हो गई थी, वहीं दूसरा पुत्र नौकरी लग जाने के बाद सागर रहने लगा था। जिसकी करीब 10 वर्ष पहले मृत्यु हो गई थी, लेकिन बेटी अपनी खुशियों को त्याग कर दिन-रात सेवा कर रही है। हमे बेटी पर गर्व है, बेटों की अपेक्षा बेटियां अपने माता पिता के प्रति अधिक त्याग कर सकती हैं।
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