गिरता पलास्तर और दरकती दीवारों के बीच पढ़ते हैं नौनिहाल
केवल अंबाड़ी ही नहीं जिले में कई आंगनबाड़ी चल रही हैं खतरनॉक भवनों में।
रायसेन
Published: April 22, 2022 09:47:57 pm
रायसेन. छोटे-छोटे बच्चों को प्रारंभिक शिक्षा देने के साथ उनको सेहतमंद बनाने के लिए गांव-गांव आंगनबाडिय़ों का संचालन किया जा रहा है, ताकि स्कूल पहुंचने से पहले बच्चे मानसिक और शरीरिक रूप से मजबूत हो जाएं। केवल बच्चे ही नहीं उनकी माताओं, किशोरी बालिकाओं, गर्भवति महिलाओं को भी इन केंद्रों पर शारीरिक शिक्षा के साथ उनकी सेहत के बारे में ज्ञान दिया जाता है। लेकिन जिले के ये आंगनबाड़ी केंद्र खुद कमजोर और खतरनॉक हैं। गुरुवार को दीवानगंज के पास ग्राम अंबाड़ी के पुराने स्कूल भवन में हुए हादसे के बाद पता चला कि जिस स्कूल को शिक्षा विभाग ने रिजेक्ट कर दिया है, उसमें आंगनबाड़ी चल रही है। ऐसे 149 जर्जर भवनों में जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन किया जा रहा है। पत्रिका ने क्षेत्र में अन्य आंगनबाडिय़ों के भवनों की स्थिति को देखा तो केवल अंबाड़ी ही नहीं, बल्कि ऐसे कई आंगनबाड़ी केंद्र हैं जो ऐसे स्कूल भवनों में संचालित किए जा रहे हैं, जो शिक्षा विभाग द्वारा अपने बच्चों के लिए खतरनॉक बताकर रिजेक्ट कर दिए गए हैं। ऐसे भवनों में छोटे-छोटे बच्चों का कुपोषण दूर करने उन्हे सेहतमंद बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं, जिन भवनों में उनकी जान को ही खतरा है।
पूरे जिले में यही स्थिति है। सालों से आंगनबाडिय़ों के खुद के भवन बनाने की योजना और प्रक्रिया चल रही है। लेकिन जिले में अभी तक विभाग के अपने भवन नहीं बन सके हैं। महिला बाल विकास विभाग द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार जिले में 1858 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। जिनमे से 609 केंद्र शासकीय भवनों में संचालिक हैं। ये शासकीय भवन स्वयं विभाग के हैं या शिक्षा विभाग से लिए गए पुराने भवन हैं, यह नहीं बताया गया। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इनमें अधिकतर केंद्र पुराने स्कूल भवनों या अन्य किसी विभाग के पुराने भवनों में चल रहे हैं। 1249 आंगनबाड़ी केंद्र किराए के भवनों में संचालित हो रहे हैं।
149 केंद्रों को मरम्मत की जरूरत
महिला बाल विकास अधिकारी दीपक संकत के बताए अनुसार जिले में 149 आंगनबाड़ी केंद्रों की मरम्मत की जा रही है। इससे स्पष्ट है कि 149 आंगनबाड़ी जर्जर और पुराने भवनों में संचालित हैं। जो एक बड़ी संख्या है। विभागीय सूत्रों के अनुसार असलियत यह भी है कि जिला स्तर से भवनों की मरम्मत कराने के प्रस्ताव सालों भोपाल में अटके रहते हैं। राशि की कमी के नाम मरम्मत की स्वीकृति और राशि नहीं मिलती है।
ये है बानगी
दीवानगंज के पास ही ग्राम गीदगढ़ का आंगनबाड़ी भवन लगभग तीस साल पुराने और शिक्षा विभाग द्वारा रिजेक्ट किए गए स्कूल भवन में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हो रहा है। इस केंद्र में दर्ज लगभग 75 बच्चे खतरे के बीच पढ़ाई करते हैं। भवन की दीवारें दरक रही हैं। छत से आए दिन पलास्तर गिरता है। फर्शियों वाले फर्श पर बैठकर बच्चे पढ़ते हैं और भोजन करते हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता का कहना है कि वे सालों से भवन बदलने या इसी भवन की अच्छे से मरम्मत की मांग कर रही हैं, यहां आने वाले हर अधिकारी को भवन जरूर दिखाती हैं, ताकि कोई मरम्मत करा दे।
इनका कहना है
जिले में 609 आंगनबाड़ी केंद्र सरकारी भवनों में संचालित हैं। 149 भवनों की मरम्मत की कार्रवाई की जा रही है, जैसे ही स्वीकृति और राशि मिलती है, तुरंत काम करवाते हैंं। कार्रवाई लगातार जारी है।
दीपक संकत, जिला अधिकारी महिला बाल विकास
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