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यहां जमीन में आधे धंसे हैं भक्त त्रिलोकचंद

locationरायसेनPublished: Aug 02, 2021 09:53:25 pm

Submitted by:

praveen shrivastava

श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है यह मंदिर।

यहां जमीन में आधे धंसे हैं भक्त त्रिलोकचंद

यहां जमीन में आधे धंसे हैं भक्त त्रिलोकचंद

फैज उल्ला खान, सिलवानी. तहसील मुख्यालय से करीब 25 किमी की दूरी पर पहाडिय़ों से घिरा स्थित पांच हजार साल पुराना त्रिलोकचंद मंदिर अपने में अजूबा है। यहां भक्त त्रिलोकचंद की प्रतिमा कमर तक जमीन में धंसी है। मंदिर के पुजारी शिवस्वरूप महाराज बताते हैं कि भक्त त्रिलोकचंद महाराज द्वारा यह शिव मंदिर बनाया गया था, वे नग्न अवस्था में मंदिर का निर्माण करते थे, उनकी एक ***** थी, जो उनके लिए भोजन लेकर आती थी। उन्होंने ***** को कहा था कि मंदिर में प्रवेश करने से पहले घंटा बजाए। एक दिन ***** को यह जानने की उत्सुकता हुई कि उसके भाई अकेले में मंदिर में क्या करते हैं। वह बिना घंटा बजाए मंदिर में प्रवेश कर गई। ***** को देख भक्त त्रिलोकचंद जमीन में धंस गए और पत्थर बन बए।
शिव स्वरूप महाराज ने बताया कि 22 अप्रेल 2021 को ब्रहा्रलीन हुए ब्रहमचारी गंगा स्वरूप महाराज ने यहां एक बैठक में 21 माह साधना की। वह लगभग 80 साल से अधिक समय तक यहां साधना करते रहे। यह मंदिर सदियों से श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र रहा है। महाशिवरात्रि के अवसर पर हजारों भक्त यहां विराजे भगवान शिव का अभिषेक करने पहुंचते हंै। यहां चैत्र की नवरात्रि पर विशाल मेला एवं नवदिवसीय गायत्री यज्ञ का आयोजन किया जाता है।
कई प्राचीन प्रतिमाएं
मंदिर के आस-पास कई बेशकीमती पाषाण प्रतिमाएं बिखरी पड़ी हैं। ग्रामीणों ने प्रतिमाओं को चबूतरे बनाकर पेड़ों के नीचे रख दिया है। पुरातत्व विभाग यहां खोज करे तो और भी प्रतिमाएं मिल सकती हैं। त्रिलोकचंद जाने के लिए सिलवानी-बरेली राजमार्ग 15 के गुन्दरई से पूर्व में रास्ता है। 5 किलोमीटर लंबा रास्ता आधा पक्का बना हुआ है।
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