शहर में आवागमन के लिए लोग हर कदम पर जूझते नजर आते हैं। सागर तिराहा से पाटनदेव और दूसरी ओर तहसील तक वाहनो का बेतरतीब आवागमन आम नागरिकों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। वाहनों की पार्किंग और मनचाही गति पर लगाम नहीं होने से पैदल चलने वाले लोग हमेशा दुर्घटना के अंदेशे में रहते हैं। कई बार दुर्घटनाएं हो भी जाती हैं।
नहीं हैं सिग्रल व्यवस्था
लंबे समय से सागर तिराहा, इंडियन चौराहा जैसे व्यस्त स्थानो पर सिग्रल लगाने की बात चली, लेकिन इस पर अमल नहीं हुआ। न तो नगर पालिका और न ही यातायात पुलिस ने इस दिशा में कोई प्रयास किए। लिहाजा शहर में
खास बात ये भी है कि जिले में कहीं भी सिग्रल व्यवस्था नहीं है। जबकि रायसेन सहित, मंडीदीप, औबेदुल्लागंज, बाड़ी, बरेली, उदयपुरा जैसे बड़े नगर नेशनल हाईवे पर हैं। हाईवे इन शहरों के बीच से होकर गुजरता है। जहां आए दिन बड़ी, छोटी दुर्घटनाएं होती हैं।
प्रदूषण भी बना परेशानी
बताया जा रहा है कि शहर में वाहनों का प्रदूषण जांचने के लिए भी कोई मशीन उपलब्ध नहीं है। हालांकि परिवहन विभाग द्वारा जिले में तीन चलित पीयूसी केन्द्र खोले गए हैं। इनमें से एक केन्द्र आरटीओ कार्यालय में है। लेकिन ये पीयूसी वाहन आरटीओ कार्यालय में ही स्थाई रूप से रहता है। सडक़ पर दौड़ते हुए वाहनों की जांच के समय प्रदूषण जांच करने के लिए कोई साधन उपलब्ध नहीं है। जिससे शहर में कंडम वाहन बिना रोक-टोक के प्रदूषण फैलाते हुए
&वरिष्ठ कार्यालय से जितने संसाधन प्राप्त हुए हैं, उनसे ही बेहतर व्यवस्था बनाने का प्रयास किया जाता है। नियमों की अनदेखी कर वाहन चलाने वालों पर प्रतिदिन चालानी कार्रवाई कर समझाइश भी दी जाती है। शहर में आवागमन की व्यवस्था को दुरुस्त करने के लगातार प्रयास किए जा रहे हैं।
दुर्जन सिंह, टै्रफिक प्रभारी रायसेन