scriptऋण माफी की उम्मीद में अटकी बैंक की वसूली | Recovery of stuck bank in hopes of debt forgiveness | Patrika News

ऋण माफी की उम्मीद में अटकी बैंक की वसूली

locationरायसेनPublished: Aug 06, 2018 10:50:36 am

रायसेन. इस वर्ष के अंत में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में हर वर्ग ने सरकार से खासी उम्मीद लगा रखी है।

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रायसेन. इस वर्ष के अंत में प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में हर वर्ग ने सरकार से खासी उम्मीद लगा रखी है। वहीं किसान भी अपने कर्ज की माफी को लेकर आस लगाए बैठे हैं। तभी तो प्रदेश सरकार द्वारा डिफाल्टर किसानों के लिए शुरू की गई मुख्यमंत्री ऋण समाधान योजना को भी अपेक्षित सफलता नहीं मिल पा रही है।
३१ जुलाई तक इस योजना की अवधि रखी गई थी, जिसे अब ३१ अगस्त तक बढ़ा दिया गया है। जिला सहकारी बैंक से मिली जानकारी के अनुसार इस योजना में अब तक 7320 किसानों ने १९ करोड़ ५३ लाख रुपए ही जमा किए हैं। जबकि जिले में ४३ हजार किसान डिफाल्टर हैं। इनसे कुल १५३ करोड़ रुपए बैंक को वसूलने हैं।

मगर इसमें अभी १३३ करोड़ ४७ लाख रुपए बाकी है। गौरतलब है कि जून माह में मंदसौर में आयोजित एक कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने पर दस दिनों में किसानों का कर्ज माफ करने का वादा किया था। पर कर्ज वसूली में रफ्तार धीमी हो गई है। कुछ किसान पिछले चार-पांच वर्षों से परेशान हैं।

192 करोड़ लेना बाकी
जिला सहकारी बैंक से प्राप्त जानकारी के अनुसार वर्तमान में चालू खाते में ३५ हजार किसान दर्ज हैं, जिनसे लगभग 192 करोड़ रुपए लिए जाने हैं। इसमें से करीब 192 करोड़ रुपए बैंक की वसूली हो चुकी है।

वहीं वसूली के बाद बैंक द्वारा दोबारा से केसीसी लोन बांट दिए गए हैं। वर्तमान में जिला सहकारी बैंक की सभी ११३ सोसाइटियों में दर्ज डिफाल्टर एवं चालू खाते के किसानों से ब्याज सहित कुल लगभग ४१६ करोड़ रुपए लेना है।
ये है ऋण समाधान योजना
इस योजना में वर्षों से ऋण नहीं चुकाने वाले किसानों को राहत देते हुए ब्याज माफ किया गया। मगर ऋण राशि में बकाया मूलधन को दो किश्तों में निर्धारित अवधि के भीतर जमा करना होगा। इसके बाद किसान को ब्याज माफी का फायदा मिलेगा।
चार-पांच वर्षों से प्राकृतिक आपदाओं से भी फसल नष्ट हो रही है। सरकार को किसानों का पूरा कर्ज माफ करना चाहिए।
भुजेन्द्र सिंह किसान, रायसेन।

प्राकृतिक आपदाओं से कर्ज के बोझ तले दबा जा रहा है। वहीं कम पैदावार और लागत ज्यादा होने से मुनाफा भी कम हो रहा है। किसान कर्ज भी नहीं चुका पा रहे।
रमाकांत पटेल, किसान।
जिले भर की बैंक शाखाओं में शिविर लगाकर किसानों को डिफाल्टर और नियमित किसान का अंतर समझाया जा रहा है। साथ ही उन्हें मिलने वाली सुविधाओं की जानकारी भी दी जा रही है। वहीं वसूली के लिए अधिकारी, कर्मचारियों को लक्ष्य दिए गए हैं। साथ ही बैंक संचालकों को भी सहयोग करने के लिए कहा गया है।
शिवाजी पटेल, अध्यक्ष, जिला सहकारी बैंक रायसेन।
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