केवल गर्मियों में ही जब सड़क की कीचड़ सूख जाता है, तब बाइक और साइकिल से आना जाना कर पाते हैं। बारिश शुरू होते ही यहां के लोग बहुत ही जरूरी होने पर ही गांव से बाहर निकलते हैं। हालात ये हैं कि गांव के लड़कों की शादी नहीं हो पा रही है, लड़की वाले आकर देखते हैं और सड़क नहीं होने के कारण शादी के लिए मना कर जाते हैं। इस सड़क के नहीं बनने से ग्राम बोरपानी, लुलका, उमरिया, मोकलबाड़ा, कूकड़ा टोला, गेरुआ टोला, भस्कल टोला के रहवासी परेशान हैं। इन गांवों की आबादी ९९ प्रतिशत आदिवासी है।
यहां अटकी सड़क
जानकारी के अनुसार, बिनेका से बोरपानी तक लगभग १७ किमी की सड़क के निर्माण के लिए सारी औपचारिकताएं, अनुमतियां हो चुकी हैं। राशि भी जारी हो चुकी है, लेकिन प्रधानमंत्री सड़क योजना के दफ्तर में सड़क निर्माण की फाइल अटक गई है। बिनेका से बोरपानी तक १७ किमी की सड़क में १२ किमी का हिस्सा वन विभाग में आता है। वन विभाग से राजस्व विभाग को जमीन मिल चुकी है, बदले में राजस्व विभाग ने वन विभाग को दूसरी जगह जमीन दे दी है। यह सब प्रक्रिया तत्कालीन कलेक्टर उमाशंकर भार्गव ने पूरी करा दी थी। सड़क निर्माण के लिए वन्य प्राणी बोर्ड दिल्ली से भी अनुमति मिल चुकी है।
-रूमी कादरी, सचिव ग्राम पंचायत बोरपानी
मरम्मत कराएंगे
-यह जानकारी आपसे मिली है। यदि सड़क स्वीकृत हो गई है, बजट भी है तो सड़क का निर्माण क्यों नहीं हुआ इसे दिखवाते हैं। जल्द ही कार्रवाई करेंगे। सड़क बने तब तक के लिए बहुत खराब पेच पर मरम्मत कराएंगे।
-अरविंद कुमार दुबे, कलेक्टर