प्रशासनिक अधिकारी भी कभी कभार बाहर निकलकर चालान आदि की कार्रवाई कर अपना पल्ला झाड़ लेते हैं। इन बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों की जान हमेशा खतरे में बनी रहती है। इनके अलावा शहर से टैक्सी आदि का संचालन भी यात्रियों की जान के लिए आफत बना हुआ है। इन टैक्सियों में क्षमता से अधिक सवारी भरकर सरेआम उनकी जान से खिलावाड़ किया जाता है। इसके अलावा टैक्सियों का संचालन कर रहे अधिकांश चालकों के पास वैध लाईसेंस नहीं है। यही नहीं अधिकांश टैक्सियां तो नाबालिग बच्चे चलाते हुए देखे जा सकते हैं।
क्षमता से अधिक बिठाते हैं यात्री
मुख्यालय से ग्रामीण क्षेत्रों में चल रही टैक्सियों, ऑटो में चालक सहित तीन सवारियां परिवहन करने की अनुमति शासन स्तर पर दी जाती है, लेकिन इनमें 15 से लेकर 20 सवारियां बैठाई जाती हैं। मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर तक यह वाहन संचालित किए जा रहे हैं, जबकि इन्हें अधिकतम 15 किलोमीटर तक का परमिट दिया जाता है। प्रशासन की नाक के नीचे चल रहे यह वाहन, शासन के नियमों को सरेआम ठेंगा दिखा रहे हैं और प्रशासन आंखें बंद किए बैठा है। तहसील मुख्यालय पर ही बगलवाड़ा, अलीगंज, बागपिपरिया, नयागांव, भारकच्छ आदि मार्गों पर यह वाहन क्षमता से अधिक सवारियों का परिवहन करते आसानी से देखे जा सकते हैं।
तहसील मुख्यालय से विभिन्न स्थानों के लिए जाने वाले वाहन शासन द्वारा तय किए सुरक्षा मानकों का पालन नहीं कर रहे हैं। तमाम हादसों और इनमें लोगों की मौत होने के बाद भी जिम्मेदार इस ओर गंभीरता से नहीं देख रहे हैं। बसों में सुरक्षा मानकों की अनदेखी की जा रही है। बीते साल परिवहन मंत्री के निर्देशों पर यात्री बसों में सुरक्षा मानकों का कड़ाई से पालन कराने के लिए अधिकारी सड़क पर उतर आए थे, लेकिन बाद में फिर स्थिति जस की तस है।